खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
2014 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की मीडिया में कांग्रेस पार्टी महीने भर से लगातार चर्चा में छाई रही है। इसका प्रमुख कारण कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव की चुनावी गतिविधि और महंगाई, बेरोजगारी, देश में बढ़ रही धार्मिक, आर्थिक, सामाजिक विषमता जैसे मुद्दे पर "भारत जोड़ो यात्रा" को मिल रही सफलता रही है। कांग्रेस को यों पटरी पर लौटते देख 2024 के आगामी आम चुनाव में जीत के प्रति आश्वस्त हो चुके सत्तारूढ़ बीजेपी को बेचैन कर दिया है।
Uneasyness in BJP
बेचैनी का यह आलम बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व सहित गोदी मीडिया की हरकतों में स्पष्ट रूप से दिखलाई दे रहा है। कांग्रेस को सुर्खियों से बेदखल करने के लिये आनन-फानन में राजपथ का नाम बदल "कर्तव्य पथ" कर दिया और यह कहा गया कि भारत गुलामी की निशानी से आज़ाद हो रहा है। अरे भाई! कौन सी गुलामी की निशानी ! "राजपथ" नाम स्वतंत्र भारत की सरकार ने रखा था अंग्रजों के समय में तो इसे"किंग्स वे" कहा जाता था।अच्छा! तो मन की बात कर दी , जो आया बक दिया! ठीक है बकिये ! प्रेस कॉन्फ्रेंस तो करनी नहीं और मीडिया को सवाल पूछने लायक छोड़ा नहीं ।
मिस्टर राहुल! मिस्टर राहुल!चीखने वाले
कहां छुपे हो REPULIC TV भाई ? अच्छा गायब।
ब्रेकिंग न्यूज! ब्रेकिंग न्यूज! सत्ता से
सवाल पूछने से फिर भागा गोदी मीडिया।
फिर बच्चों के खेलना,बुजुर्गों की टहलना,खाने-पीने वाले खोमचों पर प्रतिबंध लगा इस पथ का रौनक खत्म कर कैसी आजादी और किस कर्तव्य का निर्वहन होने जा रहा है। राजनीति का माना हुआ सिध्दांत है कि शासन की प्रकृति जबतक लोकशाही होती है तब जनता के अधिकारों की बात की जाती है और जब ये तानाशाही में बदलती है तो जनता को कर्तव्यों की याद दिलाया जाता है। भारत में आजकल यही हो रहा है।
ना जन्म तिथि देखी ना पुण्य तिथि पर विचार किया और महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की प्रतिमा का इंडिया गेट पर अनावरण कर दिया। ऐसा भला होता है क्या? ये किस की बात निशानी है? हड़बड़ाहट की या घबराहट की !
हद तो तब हो गई जब नामीबिया से चीते लाने की घटना को लेकर गोदी मीडिया ने प्रोपेगेंडा का ऐसा तूफान मचाया, लगा कि जो काम 9 साल से ,चीन से सहमा "गोदी मीडिया का शेर" ना कर पाया वो "नामीबिया का यह चीता" कर देगा - हर खाते में 15 लाख रूपये और 2×9=18 करोड़ रोजगार।
Congress is back on track
कांग्रेस संघर्ष के मोड में सड़क पर उतर गई है यों कहें कि वापस पटरी पर आ गई है। उदयपुर चिंतन शिविर में लिए गये निर्णय के अनुसार 7 सितम्बर 2022 से शुरू कन्या कुमारी से कश्मीर तक की कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो पद यात्रा सफलता के नये आयाम रच रही है। हर रोज लगभग 22 किलोमीटर की पद यात्रा जनता से जुड़े प्रश्नों पर सीधे संवाद कर रही है।
रोजाना बच्चे, बूढ़े और नौजवानों की हजारों की भीड़ इस यात्रा में शामिल हो कांग्रेस और उसके नेता श्री राहुल गांधी का हौसला बढ़ा रहे हैं। पप्पू की छवि गढ़ने में मीडिया में लगाई गई करोड़ों की पूंजी बर्बाद हो रही है। राहुल गांधी के खिलाफ ट्रोल आर्मी में काम करने वालों का कैरियर भी खतरे में पड़ गया है।
क्योंकि ज्यों-ज्यों यात्रा आगे बढ़ रही है श्री राहुल गांधी की छवि भी निखर रही है और कांग्रेस का आत्म विश्वास भी बढ़ रहा है। यह बढ़े हुए आत्मविश्वास का परिचायक है कि गोदी मीडिया और बीजेपी नेताओं द्वारा भारत जोड़ो यात्रा पर लगाये गये झूठे लांछनो का कांग्रेस मुँहतोड़ जवाब दे रही है।
फिर चाहे वो कंटेनर का मामला हो, या राहुल गांधी के टीशर्ट का, स्वामी विवेकानंद की मूर्ति के अनदेखी का या यात्रा में शामिल बच्चों या लड़कियों को लेकर भद्दे आरोंपों का, सबका करारा जवाब मिला है। इस तरह भद्द पिटने के बाद गोदी मीडिया ने इस यात्रा को पूर्ण रूप से ब्लैक आउट कर रखा है।
Bharat Jodo Yatra affects
मीडिया ने भले ही भारत जोड़ो यात्रा को ब्लैक आउट कर दिया हो पर सोशल मीडिया के चलते इसका प्रभाव देश के जनमानस पर पड़ रहा है। यहाँ तक कि आरएसएस और बीजेपी के कुछ नेता भी इसके प्रभाव में आ गए हैं। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले और बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी दोनों ने स्वीकार किया देश गरीबी, महंगाई बेरोजगारी , बढ़ती असमानता के दौर से गुजर रहा है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय वित्त मंत्री तो मानती ही नहीं कि देश में महंगाई है। ऐसे में श्री होसबाले द्वारा गरीबी को एक राक्षस बताते हुए सरकार से बुनियादी जरूरतों की कीमतों को कम करने के लिये कहना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी को लेकर भी सरकार को आड़े हाथों लिया ।
इसी बीच 23 सितम्बर 2022 दिल्ली में कस्तूरबा मार्ग स्थित मस्जिद में महत्वपूर्ण घटना घटी। इतिहास में पहली बार संघ प्रमुख किसी मस्जिद में गये और वहां के इमाम से घंटो बात की। यह ऐतिहासिक घटना भारत जोड़ो यात्रा के दरम्यान हुआ है। क्या यह संयोग मात्र है ?
Congress President Election
कांग्रेस संगठन को चुस्त-दुरूस्त करने के लिए सांगठनिक चुनाव भी संपन्न किये जा रहे हैं। इसी क्रम में अध्यक्ष पद का चुनाव लोकतांत्रिक परम्परा के अनुसार हो रहा है। गांधी परिवार इस चुनाव में उम्मीदवार नहीं हैं। मुकाबले में शशि थरूर और मलिकार्जुन खड़गे खड़े हैं। 19 अक्टूबर 2022 को कांग्रेस का नया अध्यक्ष मिल जायेगा।
यह कहा जा रहा है कि अध्यक्ष कोई बने, रहेगा गांधी परिवार की कठपुतली ही। सही बात ये है कि अध्यक्ष चुना जा रहा है नेता नहीं। नेता तो जनता बनाती है, डेलिगेट नहीं। महात्मा गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं होने पर भी नेता थे और कांग्रेस को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे। इसमें गलत कुछ नहीं।
पर चुना हुआ अध्यक्ष बीजेपी के जे पी नड्डा जैसे किसी नोमिनेटेड अध्यक्ष से अधिक ताकतवर होगा ये तो जाहिर सी बात है। ये भी स्पष्ट है कि कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव भी होता है यह देश का हर बच्चा जान गया है पर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी में ये चुनाव कैसे होता है किसी बच्चे के चाचा तक को पता नहीं।
दरअसल गांधी परिवार ने इस चुनाव में खुद को बाहर रख परिवारवाद के आरोंपों का तकनीकी रूप से प्रतिकार कर दिया है।आशा रखें कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी "संघ परिवार" के बाहर का अध्यक्ष और प्रधानमंत्री चुन ऐसे ही परिवारवाद के प्रतिकार का सामर्थ्य दिखायेगी? याद रखिये स्व० सुषमा स्वराज ,इस परिवार की ना होने के कारण भी प्रधानमंत्री नहीं बन पाई। नोटबंदी से चरमराई अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, बेकारी,और देश की गिरती सेकुलर छवि देख -सालों बाद कोई महापुरुष (?) बोले कि-
" फलानाजी की बजाय सुषमा स्वराज देश की प्रधानमंत्री बनी होती तो कुछ और बात होती " तो आश्चर्य ना होगा?
कांग्रेस की पद यात्रा और अध्यक्ष पद का चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से चल ही रही थी कि गोदी मीडिया और कांग्रेस ऑवजर्वर श्री अजय माकन द्वारा पैदा की गई सचिन पायलट को लेकर गलतफहमी में राजस्थान विधायक दल की बैठक को लेकर बवाल हो गया।उसे गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी की समझदारी ने संभाल लिया है।
विधायकों का समर्थन जिसके पक्ष में रहेगा मुख्यमंत्री वही रहेगा हाल के वर्षों में कांग्रेस का यही लोकशाही रूख रहा है। यही राजस्थान में भी होगा। पंजाब में भी श्री अमरिंदर सिंह तभी हटाये गए जब 77 में से 61 विधायक उनके खिलाफ हो गए थे। गुजरात की तरह, बिना विधायक दल की बैठक के रातों रात मुख्यमंत्री सहित पूरी कैबिनेट बदल दिये जाने की परम्परा कांग्रेस में नहीं है। मुख्यमंत्री के कैबिनेट में और सीबीआई के डायरेक्टर में , कुछ तो अंतर होना चाहिए!
इधर कांग्रेस की यात्रा भी जारी है उधर गोदी मीडिया में अति विशिष्ट को अपना चेहरा नित दिखाने की ललक भी कायम है। इसके लिये उदघाटनों का दौर चलाया जा रहा है जिस कारण चौक, चौराहे तक के नसीब जाग उठे हैं जरूरत आ पड़ी तो एक ही चीज के दुबारे (पार्टवाईज) उद्घाटन भी हो रहे हैं। कांग्रेस पटरी पर वास्तव में लौटी कि नहीं ये तो आने वाला समय बतलायेगा तब तक 5 किलो तक की आलू ढो़ने वाले द्रोण से पूरे देश की माल ढुलाई और किसानों की समस्या के समाधान के दावे का तमाशा देखिये।
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Ummeed hai Rahul Gandhi ki is padyatra se congress me majbooti ayegi or pappu kahane walon ke muh per thappar padega balki thappad padana suru ho gaya
जवाब देंहटाएंBharat jodo yatra desh me sauhard ur bhaichare ki bhavana ko majbuti degi congress party me naya josh bharegi Rahul Gandhi ko ek sachhe n achhe leader ki pahchan degi...ham sabhi libral hinduon ko is yatra se positive ummeden hai....
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