Another Congress government in crisis!

Another Congress government in crisis
कांग्रेस की एक और राज्य सरकार गिराने की कोशिशें चल रही है और उसके मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत राजस्थान में अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।मध्यप्रदेश की तरह ही कांग्रेस पार्टी का एक और उभरता हुआ डिजिटल युग का जल्दबाज नौजवान नेता सचिन पायलट अपनी अति महत्वाकांक्षा और केन्द्रीय नेतृत्व के सत्ताहीनता से उत्पन्न कमजोरी के कारण इस साजिश का एक मोहरा बन अपनी पार्टी और सरकार दोनों के लिये मुसीबत खड़ी किये हुए है। लेकिन पुत्र कितना भी प्रिय और काबिल हो उसे सर कलम करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती  !

हर बार की तरह इस बार भी पर्दे के पीछे सूत्रधार की भूमिका में बीजेपी है और हर बार की तरह इस बार भी इस बात से इंकार कर रही है।परन्तु बीजेपी की सरकार गिराने की ऑपरेशन कमल के अंतर्गत विकसित "शाह तकनीक" जिसमें सरकार में शामिल कुछ असंतुष्ट नेता व  विधायकों को प्रलोभित या डरा कर इस्तीफा दिला विधानसभा की सदस्य संख्या कम कर बहुमत का गणित और सरकार बदल दिया जाता है ,कर्नाटक और मध्य प्रदेश में तो काम कर गई पर राजस्थान में फिलहाल फेल होती नजर आ रही है!





क्योंकि एक तो कर्नाटक और मध्य प्रदेश की अपेक्षा राजस्थान में  बीजेपी और कांग्रेस में 35 सीटों का बड़ा फासला है दूसरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस बगावत को लेकर सावधान हो चुके थे। उन्होंने आसन्न विद्रोह को रोकने के लिये विधायकों की खरीद-फरोक्त के बारे में देशद्रोह की धारा 124 ( a) से लैस एक "एसओजी" (special operation group) गठित कर  पहले से ही जांच शुरू करवा रखी थी।


इसी एसओजी द्वारा भेजे गये 10 जुलाई 2020  पूछताछ की नोटिस को ही  सचिन पायलट ने अपना अपमान मानते हुए सरकार से बगावत का आधार बनाया और समर्थक विधायकों को लेकर बीजेपी शासित हरियाणा के मानेसर के होटल चले गये। वहीं से घोषणा कर दी कि गहलोत सरकार अल्पमत में है और उन्हें 30 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।






कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व सक्रिय हुआ और बागियों को मनाने की कोशिशें शुरु हुई!  विधायक दल की बैठक में बुलाने पर भी श्री सचिन पायलट और उनके समर्थक नहीं आये। आलाकमान से भी बात करने से इंकार कर दिया और मुख्यमंत्री बनाने की पूर्व शर्त रख दी। स्पष्ट है कि पार्टी और आलाकमान की अवहेलना की गई। इसी समय केन्द्र सरकार की एजेन्सी इनकमटैक्स के राजस्थान में जगह-जगह छापे पड़ने शुरू हो गये। ऐसा लगने लगा कि कांग्रेस की गहलोत सरकार अब गई कि तब गई!


परन्तु जैसे ही स्पष्ट होने लगा सचिन पायलट के विद्रोही गुट में 30 नहीं मात्र 19 विधायक हैं बाजी पलटने लगी। श्री अशोक गहलोत आक्रमक हो गये विद्रोही गुट के विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिये स्पीकर का नोटिस भेज दिया गया। श्री सचिन पायलट और उनके दो सहयोगियों को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया।


श्री सचिन पायलट को राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया। खुले रुप से बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने का षड्यंत्र का आरोपी भी करार कर दिया। इतना ही नहीं बीजेपी की तरह "शाही" अंदाज में एक आडियो टेप के हवाले बीजेपी के केन्द्रीय मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और दो अपने ही कैबिनेट के बर्खास्त मंत्रियों पर  देशद्रोह वाला एफआईआर भी कर दिया है।

Another Congress government in crisis!



श्री अशोक गहलोत के इस तेवर से श्री सचिन पायलट और बीजेपी दोनों बचाव की मुद्रा में भले आ गये हैं पर हार नहीं मानी है।बीजेपी पूरे मामले को कांग्रेस का अन्दरूनी कलह बतलाने लगी और सचिन पायलट ने कहना शुरू कर दिया है कि वे बीजेपी में नहीं जा रहे हैं और न ही उन्होंने बगावत की है। पर अभी भी अपने समर्थक विधायकों को बीजेपी सरकार की सुरक्षा में रखे हुये हैं और स्पीकर के नोटिस के विरुद्ध हाईकोर्ट की शरण में भी बीजेपी से संबध्द रहे वकीलों के साथ गये हैं।मामला कोर्ट में है सचिन पायलट का भविष्य कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है वैसे बिना शर्त माफी मांगने पर कांग्रेस पार्टी में उन्हें स्थान दे सकती है पर राजस्थान की सरकार और राजनीति में फिलहाल नहीं।


जहां तक श्री अशोक गहलोत की सरकार का सवाल है कोर्ट का फैसला कुछ भी हो, विद्रोहियों की सदस्यता रहे या न रहे वो फिलहाल सुरक्षित रहने वाले हैं पर कब तक? फोन टेप का मामला गंभीर होता जा रहा है! बीजेपी अपने केन्द्रीय मंत्री को देशद्रोह के आरोप में जेल जाने से बचाने के लिये हर संभव प्रयास करेगी ही। किसी भी हद से गुजरने वाले शाह महाराष्ट्र के बाद इतनी जल्दी दुबारा मात खाने वाले नहीं।राष्ट्रपति शासन का विकल्प तो केन्द्र के पास रहता ही है।फोन टेप को लेकर राजस्थान सरकार  को गृह मंत्रालय  की नोटिस जा चुकी है !