/* “वन्दे मातरम् से वोट चोरी तक: 2025 के संसद सत्र में लोकतंत्र की असली परीक्षा”(“From Vande Mataram to Vote Theft: How the 2025 Parliament Session Tested Indian Democracy”

“वन्दे मातरम् से वोट चोरी तक: 2025 के संसद सत्र में लोकतंत्र की असली परीक्षा”(“From Vande Mataram to Vote Theft: How the 2025 Parliament Session Tested Indian Democracy”

खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी  दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये  Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।



भारतीय संसद के 2025 का शीतकालीन सत्र देश की सफलतम रोजगार गारंटी योजना "मनरेगा" की समाप्ति प्रधानमंत्री का वन्दे मातरम् पर बेतुकी बातें और गृहमंत्री के चुनाव आयोग को लेकर रहस्योद्घाटन  के कारण याद किया जायेगा। एक तरफ वर्तमान से किनारा कर, भविष्य के सपने दिखाने वाले प्रधानमंत्री वन्दे मातरम् को लेकर भूतकाल में उलझते दिखे। वहीं दूसरी तरफ चुनाव आयोग से मिलीभगत कर वोट चोरी के विपक्ष के आरोप का जवाब देते हुए गृहमंत्री ने चुनाव आयोग से अपनी रिश्तेदारी ही बतला कर विपक्ष की बोलती ही बंद कर दी। "सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ।" वोट चोरी कंफर्म? हुण की होवेगा? 


मनरेगा को आनन फानन में  समाप्त कर VB-G RAM G नामक नया कानून लाया गया इस पर विस्तृत चर्चा अलग से  करनी होगी फिलहाल इस सत्र के  के अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करते हैं। 

वन्दे मातरम् पर बहस या चुनावी नैरेटिव की तैयारी?

आगामी बंगाल विधानसभा चुनाव और SIR के बल पर मिलने वाली संभावित जीत का नैरिटिव तैयार करने हेतु भारत के राष्ट्रीय गान "वन्दे मातरम्" को 150 वें वर्ष पर संसद के गैर जरूरी बहस का विषय बनाया गया।

नेहरू–सुभाष पत्र विवाद और प्रधानमंत्री का दावा

शुरुआत करते हुये सिकन्दर को बिहार तक पहुंचाने की अद्भुत जानकारी देेने वाले प्रधानमंत्री ने पंडित नेहरू की सुभाष चंद्र बोस को लिखी चिट्ठी का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि 1937 में कांग्रेस (नेहरू की अध्यक्षता में) ने मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना के दबाव में गीत के महत्वपूर्ण हिंदू देवी-देवताओं के संदर्भ वाले वो चार अंतरे हटा दिए जो बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने और लिखे थे ।


इसे तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण बतलाते हुए कहा कि "वन्दे मातरम् पहले विभाजित हुआ, फिर देश विभाजित हुआ"।

क्या वन्दे मातरम् कभी मुस्लिम लीग या RSS को स्वीकार था?

प्रधानमंत्री के इतिहास को लेकर की गई इस कुतर्क की श्रीमती प्रियंका गाँधी ने नेहरू और सुभाष के बीच दो और चिट्ठी का हवाला देकर धज्जियां उड़ा दी।

यह साबित कर दिया कि वन्दे मातरम् के सिर्फ दो अंतरे को राष्ट्रगान के रूप में रखने का कांग्रेस का फैसला नेहरू की तुृ्ष्टीकरण की नहीं बल्कि नोबल पुरस्कार विजेता श्री रवीन्द्रनाथ टैगोर की सलाह का नतीजा था।

तुष्टिकरण की कोई बात ही नहीं थी क्योंकि मुस्लिम लीग तो तब भी तुष्ट नहीं हुआ था और उसने वन्दे मातरम् की शामिल दो अन्तरे का भी विरोध किया था। 

बहस में ये बात भी निकल कर सामने आई कि स्वयं आरएसएस ने भी वन्दे मातरम् के कांग्रेस से जुड़ा समझकर स्वतंत्रता प्राप्ति तक इसे स्वीकार ही नहीं किया था। 

आप के सांसद श्री संजय सिंह का आरएसएस से जुड़े  वन्दे मातरम् गाते हुए जेल जाने वाले चार नाम बतलाने के चैलेंज पर बीजेपी की चुप्पी ने यही साबित किया।

वोट चोरी, SIR और चुनाव आयोग पर विपक्ष के गंभीर आरोप
वन्दे मातरम् की तरह चुनाव सुधार पर भी संसद के इस सत्र में लम्बी बहस हुई और इस पर भी सरकार बैकफुट पर दिखी।

 विपक्ष  ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR), मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं, चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया में CJI को हटाने, EVM पर संदेह और "वोट चोरी" के आरोप उठाए। श्री राहुल गांधी ने इसे देश द्रोह से जोड़ दिया। 

उन्होंने सरकार से तीन सवाल किये और ऐसा करने के पीछे सरकार की मंशा क्या थी ये पूछा? ये सवाल थे-

1. चुनावआयुक्तों की नियुक्ति समिति से मुख्य न्यायाधीश (CJI) को क्यों हटाया गया?
2. चुनाव आयुक्तों को पूर्ण इम्यूनिटी (संरक्षण) देने वाला 2023 कानून क्यों लाया गया?
3. पोलिंग बूथ की CCTV फुटेज को 45 दिन से क्यों कम किया गया?


शाह ने जवाब में कांग्रेस शासन के उदाहरण  गिना दिए। सही जवाब हर हाल में चुनाव जीतना होता जो नहीं दिया गया।  

श्री राहुल गांधी ने चुनाव सुधार के लिये चार मांगे भी रखी। 

1. चुनाव से कम से कम एक महीने पहले सभी राजनीतिक दलों को मशीन-रीडेबल (डिजिटल, सर्चेबल) वोटर लिस्ट उपलब्ध कराई जाए, ताकि अनियमितताओं की जांच हो सके। 
2. पोलिंग बूथ की CCTV फुटेज 45 दिन में नष्ट करने का नियम वापस लिया जाए। 
3.EVM की आंतरिक संरचना (architecture) का पारदर्शी ऑडिटके लिये विशेषज्ञों को दिया जाए। 
4.चुनाव आयुक्तों को दी गई इम्यूनिटी वापस ली जाए।


गृहमंत्री का जवाब और गाली

सरकार की तरफ से जवाब देते हुए गृहमंत्री की बौखलाहट स्पष्ट रूप से दिखी परिणाम चुनाव आयोग के लिये अप्रिय संबोधन के रूप में सामने आया।उन्होंने विपक्ष के आरोपो को सीधे खारिज करते हुए SIR को मतदाता सूची शुद्धिकरण  और घुसपैठियों से बचाव बताया। उल्लेखनीय है चुनाव आयोग को अभी तक घुसपैठिये नहीं मिले हैं सिर्फ गृहमंत्री जानते हैं। 

चुनाव आयोग के हवाले से वोट चोरी को हरियाणा के मकान नंबर 265 का जिक्र कर( जिसकी अधिकारिक पुष्टि चुनाव आयोग ने नहीं की है सूत्रों ने कहा) नकार दिया। स्वायत्त संस्था के लक्षण देख रहे हो ना विनोद! एक तो वो रिपोर्ट  करे, करे भी किसे? वाह प्यारे जीजाजी! 

श्री राहुल गांधी ने इस पर खुली बहस की चुनौती दी तो हाथ कांपने लगे लगा धरती डोल गई। उनके चार मांगो पर सीधे जवाब ही नहीं दिया गया। परिणाम विपक्ष वाकआउट कर गई।

 New India में लोकतंत्र – आ रहा है या जा रहा है?
कुल मिलाकर वन्दे मातरम् पर संसद में बहस करा कर  बंगाल में ध्रुवीकरण का बीजेपी का प्रयास नाकाम हो गया और उसे लेने के देने पड़ गए। 

चुनाव सुधार पर बहस में भी  बीजेपी और सरकार की भद् पिटी! 

भद् पिटने से SIR और बीजेपी की चुनावी जीत पर कोई फर्क पड़ेगा? 

नहीं !  

क्योंकि चुनाव आयोग पर जितना जीजाजी को विश्वास है उतना ही सुप्रीम कोर्ट को भी है। 

तो पिटने दीजिये भद्! 

क्योंकि श्री राजीव कुमार हों या श्री ज्ञानेश कुमार इतिहास गवाह है जहां जहां बीजेपी की भद् पिटती है वहां बीजेपी की जीत निश्चित होती है। यूपी का हाथरस  या गुजरात का मोरबी तो छोटे उदाहरण है ं एमपी, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और बिहार आदि सब की एक ही कहानी है। 

आप तो New India का  बस आनन्द लीजिये। इस New India में सनातनी परम्परा नेपथ्य में जाते हुए देखा और अब तनातनी के रूप में समाज में नई परम्परा परवान चढ़ते हुए देखिये। अनेकता में एकता का हस्र देखना है तो रामनवमी में मस्जिदों के सामने तनातनियों का फूहड़ नृत्य और तुलसी जयंती पर चर्च के सामने हुड़दंग और हनुमान चालीसा का पाठ का निकृष्ट मंजर भी देखिये। 

अगर इन घटनाओं पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की चुप्पी पर ,  शर्म आती हो तो अपना सर भी धुनिये। 

देख तो लिया ना ! Idea of India और सनातनी परम्परा की अरावली कैसे ढ़हाई जाती है? 

पर निराश ना हो! 

हम आप तो भाग्यशाली हैं जो लोकतंत्र को फलते फूलते भी देखा और अब उसे जाते भी देख रहे हैं। अगर ईश्वर की थोड़ी और कृपा होगी लोकतन्त्र को पुनः आते भी देखेंगे। श्री लालू यादव ने तो एक टिकट पर सिर्फ दो खेल की बात की थी यहां हमें तो एक टिकट पर तीन खेल देखने का चांस है। यदि ले सकते हैं तो मजे लीजिये। 

जय हिंद। 


Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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