खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
2014 के बाद का नया भारत: क्या जनमत की जगह व्यवस्था ने ले ली है?
पूरे देश की नजर 2025 बिहार विधानसभा के 2025 के सम्पन्न हुए चुनाव की मतगणना और उसके परिणाम पर लगी हुई है। 2014 के बाद कथित तौर पर आजाद हुए नूतन भारत के लोकतंत्र में जनमत द्वारा चुनाव परिणाम तय करने का जमाना जा चुका है अब ये काम तंत्र (व्यवस्था) ने संभाल लिया है। अब तंत्र ही तय करती है कि कौन सा चुनाव किसे जीतना है और किसे हारना है। तंत्र कभी नहीं चाहेगा बिहार चुनाव परिणाम विपक्ष के पक्ष में जाये क्योंकि इससे इसके द्वारा केन्द्र में स्थापित सत्ता संकट में पड़ सकती है। ऐसे में बिहार चुनाव परिणाम में दिलचस्पी जनतंत्र को लेकर नहीं बल्कि जन और तंत्र के बीच संघर्ष को लेकर है। आखिर जीत किसकी होती है?
राहुल गांधी के आरोप: चुनाव आयोग और बीजेपी की मिलीभगत
ऐसी व्यवस्था की खुलेआम घोषणा हरियाणा के बीजेपी के मुख्यमंत्री ने पहली बार की थी पर यह व्यवस्था पहले ही चुनाव दर चुनाव लागू हो चुकी थी जिसकी पुष्टि विपक्ष के नेता के वोट चोरी के कई खुलासों से हो चुकी है। श्री राहुल गाँधी ने अपने खुलासों में इस तंत्र को परिभाषित करते हुए कहा कि यह चुनाव आयोग और बीजेपी की मिलीभगत की व्यवस्था है जो जनमत के फैसले को पलट कर चुनाव चोरी करती है।
यह व्यवस्थित धांधली है जो भारतीय लोकतंत्र को कमजोर और खत्म करती है। उन्होंने इसके तरीकों को अकाट्य सबूतों के साथ बतलाये।
फर्जी वोटर, डुप्लिकेट लिस्ट और बल्क रजिस्ट्रेशन का खेल
डुप्लिकेट वोटर:अर्थात जहां एक ही व्यक्ति कई जगह रजिस्टर्ड।हरियाणा में 5.21 लाख, कर्नाटक में सिर्फ एक विधानसभा महादेवपुरा में 1 लाख फर्जी वोटर।
बल्क रजिस्ट्रेशन: एक पते पर हजारों वोटर (हरियाणा: 19.26 लाख)।
फर्जी फोटो/नाम: ब्राजीलियन मॉडल की फोटो 22 बार, एक नाम कई बार।
वोटर डिलीशन: कांग्रेस समर्थकों के 3.5 लाख नाम हरियाणा से गायब।
फर्जी पते: नकली एड्रेस पर सैकड़ों वोटर।
मल्टी-स्टेट वोट: भाजपा कार्यकर्ता कई राज्यों में वोट डालते।
डेटा छिपाना: CCTV फुटेज डिलीट, मशीन-रीडेबल लिस्ट न देना।
सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी और लोकतंत्र पर सवाल
सवाल किया जाता है कि श्री राहुल गाँधी अपने सबूतों के साथ कोर्ट क्यों नहीं जाते? पर क्या ये व्यवस्था कोर्ट को नहीं दिखती? अगर दिखती तो स्वत: संज्ञान तो लेती।श्री राहुल गाँधी के खुलासे पर SIT की मांग को लेकर श्री राकेश पांडे नामक एक व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट गए ही थे पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने तक से भी इंकार कर दिया। सवाल है बिहार के SIR को भी खीचने क्या जरूरत थी इसे भी खारिज कर दिया जाता ? SIR ने जिस जिंदा आदमी को मरा बतलाया है उस SIR को सुप्रीम कोर्ट मुहर लगा दे वो जिंदा आदमी जिंदा रहकर सुप्रीम कोर्ट की मानहानि ही तो करेगा।
कानून के अंधे होने की बात तो सुनी थी न्याय भी अंधा होता है यह अभी तक नहीं सुना था। कहा जाता है कि धृतराष्ट्र अंधे नहीं होते तो द्रोपदी का चीर हरण भी नहीं होता? अब भारतीय प्रजातंत्र का चीरहरण हो रहा है तो इसनें नई बात क्या है? इसलिये श्री राहुल गाँधी अपने खुलासे द्वारा जनता और GenZ को अवगत करा रहे हैं क्योंकि उन्हें वही से उम्मीद दिखती है। विश्वास कीजिये यदि उनके आरोपों में सच्चाई नहीं होती तो अभी तक वे जेल में होते!
ऐसे हालत में बिहार चुनाव के दौरान विपक्ष के नेताओं की चुनावी सभाओं में उमड़ता जन सैलाब जबकि एनडीए के नेताओं की सभा में नदारद भीड़ , जनता द्वारा खदेड़ने की खबर या बीजेपी के डिप्टी सीएम पर गोबर फेंकने की घटना महागठबंधन के जीत के संकेत और आश्वासन नहीं है ं। क्योंकि ये इस तरह की बातें एमपी, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि जगहों पर भी हुई थी पर वहां जीत बीजेपी की हुई थी। इससे कुछ नहीं होता, व्यवस्था की तैयारी को भी तो देखिये!
SIR,बिहार के स्ट्रॉन्गरूम, बंद सीसीटीवी और रहस्यमय ट्रक
बाकि जगह तो चोरी के आरोप है ं बिहार में तो सीनाजोरी चला है। यहां तो चुनाव आयोग ने SIR द्वारा घुसपैठिये का नाम पर 65 + 3.66 लाख वोटर के नाम पहले ही गायब कर चुका है। कमाल तो यह है कि इनमें से एक भी घुसपैठिया नहीं है ऐसा चुनाव आयोग खुद कह रहा है।
फर्जी वोटर्स, डुप्लीकेट वोटर ,मल्टी स्टेट वोटर्स जिनकी जरूरत व्यवस्था को थी उन सब को रहने दिया गया है। ऐसे कई मतदाताओं ने सोशल मीडिया पर बड़े गर्व से अलग अलग जगहों पर वोट डालते हुए अपनी तसवीरें पोस्ट की है ं। इनमें बीजेपी के बड़े बड़े नेता और कार्यकर्ता शामिल हैं। इनके लिये रेलवे द्वारा हरियाणा से चार -चार रिजर्व ट्रेन चलाने तक की खबर भी है।
खबर तो वैशाली, समस्तीपुर, सारण, रोहतास सहसराम और मुजफ्फरपुर के स्ट्रांगरूम की बिजली कटने और सीसीटीवी बंद होने पिकअप वैन और ट्रक की आने जाने की भी की है। समस्तीपुर में वीवीपेट पर्चियों के ढ़ेर भी सड़क पर बिखरे पाये गए हैं।
सीसीटीवी बंद होने को तकनीकी खामी और ट्रक द्वारा खाली बक्से को उठाने की बात इन जगहों के डीएम द्वारा कहा जा रहा है। पर खाली बक्सों से क्या दिक्कत हो सकती रहने देते रात में चोरी छिपे जाने की क्या जरूरत थी?क्योंकि व्यवस्था यही चाहती है!
गृहमंत्री की मौजूदगी और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न
चुनाव के समय प्रशासन की जिम्मेवारी चुनाव आयोग की होती है पर उनकी मदद के लिये देश के गृहमंत्री खुद पटना के होटल में कई दिनों तक डेरा डालने की खबर व्यवस्था की मजबूती बतलाती है। अधिकारियों को निर्देश, डराने ,धमकाने के आरोप विपक्ष लगा रहा है। जब प्रधानमंत्री दिल्ली में बम विस्फोट होने के बावजूद अपने सुदामा को ठेका दिलाने भूटान जा सकते हैं तो गृहमंत्री अपने पूर्व सचिव रह चुके चुनाव आयुक्त की मदद के लिये पटना तो रह ही सकते हैं?
जनता बनाम व्यवस्था: 2025 के बिहार चुनाव की असली जंग
ऐसे हालत में बिहार में महगठबंधन और एनडीए के बीच की ये लड़ाई जनता और व्यवस्था के बीच लड़ाई हो गई है। 14 नवंबर की मतगणना के बाद का परिणाम बतलायेगा इस लड़ाई में किसकी जीत होती है। महागठबंधन को जीतने के लिये तंत्र के अनेक अवरोधों को पार करना होगा। हरियाणा में 25 लाख की वोट चोरी की व्यवस्था को पार करने में एक लाख वोटों से कांग्रेस चुक गई थी। यहां तो मामला लगभग करोड़ का है।
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Sahi aaklan hai...Ab kaise viswas Karen hum is vyavastha par jo Sarkar ki hi vaani bolting Hai, wahi dikhati aur karti Hai jo Sarkar dikhana chatting hai...secular shabd ka koi astitwa hi jaane kahan chala gya..
जवाब देंहटाएंJabtak chunav ayog ko nahi badlega bjp jeetega hi kitna bhi jor lagale vipasha
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