खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
श्री राहुल गाँधी के 7अगस्त, 2025 के कथित राजनैतिक एटम बम धमाके से उत्पन्न "वोट चोर गद्दी छोड़" रेडियेशन पूरे देश को अपने चपेट में लेता कि उससे पहले भारत के पड़ोसी देश नेपाल के युवाओं (Gen Z) के 8 सितम्बर, 2025 के अहिंसक प्रदर्शन पर पुलिस की गोलियों से तबदील हुई हिंसक आन्दोलन ने राजनैतिक भूकंप ला दिया।
वहां कि संसद, सुप्रीम कोर्ट ,भूतपूर्व व वर्तमान प्रधानमंत्री और मीडिया की बिल्डिंगे जला दी गई। भूतपूर्व प्रधानमंत्री सहित कई मंत्रियों की अभूतपूर्व पिटाई की गई जबकि प्रधानमंत्री श्री के पी ओली इस्तीफा दे भाग खड़े हुए। नेपाल के सत्ताधीशों पर इस टूटे कहर का असर नेपाल से रोटी-बेटी का संबंध रखने वाले भारत की राजनीति पर नहीं हो यह तो हो नहीं हो सकता!
Role and propaganda of Indian Godi media
इस आन्दोलन को लेकर न्भारतीय गोदी मीडिया की प्रतिक्रियाआश्चर्य जनक रही। इसने इस आन्दोलन को सोशल मीडिया की आदत (लत) और हिन्दु राष्ट्र की चाहत से जोड़ने के साथ नेपाल की इस युवा क्रांति को अराजक बता कर बदनाम करने की कोशिश की।
गनीमत है कि इसने नेपाल में अपने पत्रकारों की पिटाई के बावजूद पिछले साल बंगलादेश में हुई क्रांति की तरह इस क्रांति के पीछे श्री राहुल गांधी के हाथ होने की मनगढ़ंत खबर नहीं चलाई और ना ही बीजेपी के किसी नेता ने इसके लिये स्व० पंडित नेहरू को जिम्मेवार बतलाया।
Nepal's Gen Z revolution: Background and immediate causes
ओली सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन ना करवाने के नाम पर 26 मीडिया प्लेटफार्म को बंद करना तात्कालिक कारण ही था एकमात्र कारण नहीं। इसी तरह बीजेपी के एक उच्चश्रृंखल नेता द्वारा इस Gen Z क्रान्ति को हिन्दु राष्ट्र बनाने की चाहत से जोड़ना अपनी विचारधारा को बल देने की नाकाम कोशिश करना है मात्र है जिसका सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है।
वस्तुतः नेपाल के Gen Z के आक्रोश के वास्तविक कारण कई रहे हैं जिसने नेपाल के को क्रान्ति की ओर अग्रसर किया।
(1) भयंकर बेरोजगारी और युवाओं के पास अवसर की कमी। इससे पलायन की स्थिति बनी। नेपाल के लाखों युवा रूस की युध्दग्रस्त सेना में भर्ती के लिये मजबूर हुए और कईयों ने जान गंवाई।
(2) नेपाल में प्राय: सभी राजनीतिक पार्टियों की बार बार बदलती सरकारें और उनके भ्रष्टाचार। दस साल में 7 प्रधानमंत्री बने पर स्थिति जस की तस रही। मंत्रियों की जवाबदेही से बचने के कानून बना दिये गये।
(3) मीडिया सहित लोकतांत्रिक संस्थाओं का पतन। सोशल मीडिया पर ही सही खबर मिल रही थी पर इस प्रतिबंध लगा दिया गया और जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहरा दिया ।
(4) राजनीतिक परिवारों के बच्चों (Nepo-kids) की लग्जरी लाइफ शैली और आम जनता की गरीबी के बीच फर्क उजागर होने से युवाओं में जबरदस्त नाराजगी।
स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने सिर्फ चिंगारी का काम किया आग लगाने के लिये भूसे का ढेर पहले से ही जमा हो चुके थे।
Nepal's revolution and its impact on Indian politics
नेपाल की Gen Z क्रांति का असर भारत की राजनीति पर विशेष रूप से के सत्ताधारी पार्टी पर सर्वाधिक पड़ा है वे खौफ में आ गए हैं। इस आन्दोलन के फौरन बाद बीजेपी सांसद श्री निशिकांत दूबे की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश कर दी।
वही ं गृहमंत्रालय ने 1974 के बाद भारत में हुए जन आंदोलनों कारणों और फंडिंग की रिपोर्ट तैयार करने साथ ही भविष्य के आन्दोलनो से निपटने के लिये एक SOP बनाने के आदेश दिया है।
इस खौफ का कारण है कि उन्हें पता है कि नेपाल में तो भूसे का ढ़ेर ही था यहाँ तो भूसे का पहाड़ खड़ा है।
भयंकर बेरोजगारी, आर्थिक बदहाली,स्वायत्त संस्थाओं का पतन, भ्रष्टाचार ,Nepo-kids के जलवे, मीडिया का गोदीकरण,विपक्ष और विरोध की आवाज को कुचल देने की तानाशाही कोशिश और अमेरिका और चीन के बीच पेंडुलम बनी देश की बजाय दोस्तों के हित में चलने वाली नाकाम विदेश नीति ।
नेपाल में 10 साल में 7 प्रधानमंत्रियों ने जो काम किया यहाँ वो काम तो एक अकेला सब पर भारी ने अकेले ही कर दिखाया है। नेपाल में Gen Z का गुस्सा कमोबेश सभी दलों पर था इसलिये शामत सभी प्रधानमंत्रियों पर आई चाहे वो वतर्मान हो या भूतपूर्व । यहाँ तो पिछले 11 साल से और एक ही प्रघानमंत्री रहे हैं वो भी अभूतपूर्व !
ऐसे में चिंता तो बढ़ ही जाती है।
Vote theft controversy and the role of the Election Commission
इन सब कारणों के अलावा भारत में जनता को उद्वेलित करने वाला एक और कारण है जो सबसे महत्वपूर्ण बनता जा रहा है वो है 'वोट चोरी"। नेपाल में जैसी भी सरकारें बनी वो जनता के वोटों से बनी यह संतोष तो वहां की जनता को था पर भारत में इस पर भी प्रश्न चिह्न लग गया है । मौजूदा सरकार वोट चोरी से बनी है यह मामला भारत में तूल पकड़ता जा रहा है।
विपक्ष के नेता द्वारा वोट चोरी के नित नये खुलासे पर चुनाव आयोग का कोई माकूल जवाब नहीं देना और बिहार SIR के नाम पर वोट डकैती का प्रोग्राम चलाना और उसे देश में भी चलाने की घोषणा करना भारतीय जनमानस को झकझोर रहा है। वहीं चुनाव आयोग से मिलीभगत की सामने आ रही सच्चाई ने सरकार को भयभीत कर डाला है। श्री राहुल गाँधी द्वारा भारतीय Gen Z के नाम से लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने का आह्वान करने वाली एक ट्वीट्स मात्र से बीजेपी नेताओं में मची बौखलाहट इसी भय का नतीजा है।
Is the Gen-Z movement possible in India?
ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है क्या भारत में भी नेपाल, बंगलादेश और श्री लंका की तरह Gen Z आन्दोलन हो सकते हैं? Gen Z का मतलब युवा (13 से 28आयु वर्ग) से है और दुनिया में हर क्रांति या परिवर्तन युवाओं की सक्रियता से आती है। Gen Z की सर्वाधिक संख्या भारत में ही है तो इनमें बढ़ता असंतोष जनआन्दोलन का रूप तो ले ही सकता है पर इसका स्वरूप हिंसक होगा इसकी संभावना कम हीं है।
क्योंकि भारत एक बड़ा देश है और यहां का गणतंत्र और लोकतंत्र भी पड़ोसियों की तुलना में काफी पुराना है इसलिये लोकतांत्रिक और अहिंसक तरीके पर यहां के लोगों का विश्वास अपेक्षाकृत गहरा है। इतना गहरा कि जिस जज ने चुनाव आयोग की नियुक्ति के मामले को टाले रखा उसी जज से आशा लगाये हुए कि चुनाव आयोग के SIR जैसी हरकत से जनता को बचा लेंगे!
भारत के जनआंदोलन का इतिहास भी अहिंसक रहा है और सफलता भी उसे ही मिली है चाहे जेपी आन्दोलन हो या अन्ना आंदोलन या फिर तीन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन। अपना भारत तो वो देश है जिसने अपनी आजादी भी महात्मा गॉंधी के अहिंसक जन आन्दोलन से ली है उसके लिये सत्ता या तंत्र परिवर्तन क्या चीज है? इसके लिये भारत के Gen Z के लिये सिर्फ सरकार की रक्षक बनी सांप्रदायिकता का कवच तोड़ सड़क पर आने की जरूरत भर है, किसी हिंसा की नहीं।
जय हिन्द।
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