23 जनवरी 2023 को प्रकाशित अमेरिकी सेल व रिसर्च कम्पनी हिण्डनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी की चमत्कारी सफलता को कॉर्पोरेट जगत का सबसे बड़ा घोटाला बतला कर बेनकाब कर दिया वहीं इसी मामले को लेकर जिस क्रोनोलोजी के तहत एक मामूली मानहानि मुकदमें में सूरत के निचले स्तर की अदालत के स्तरहीन आदेश की आड़ में श्री राहुल गांधी की संसद की सदस्यता छीनी गई उसने भारतीय लोकशाही के पीछे छिपे तानाशाही को बेपर्दा कर दिया है। इसे कहते हैं करे कोई भरे कोई। घोटाला अडानी और उसके मित्र ने किया सजा राहुल गांधी को दी गई। शक्तिमान देखा है? 



"अंधेरा कायम रहेगा मिट जायेगा अंधेरे का दुश्मन। देखा तुमने अंधेरे से टकराने का नतीजा! हा हा हा।"

लोकतंत्र पर आई आपदा के इस क्षण में एक अच्छी बात ये हुई है कि सभी विपक्षी पार्टियां गोलबंद हो गई हैं जो भारत में लोकतंत्र के भविष्य के लिए एक उम्मीद जगाती हैं। 




कहते हैं कि जब समय खराब हो तो मुसीबतें भी किश्तों में नहीं वरन एकसाथ आती हैं। बीजेपी सरकार के साथ भी पिछले दो महीने से  यही हो रहा है। भारत जोड़ो यात्रा की सफलता,विशेष कर कश्मीर में उमड़ी भीड़ और श्री राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से उत्पन्न परेशानी को जज्ब करने का प्रयास चल ही रहा था कि उसी समय बीबीसी ने 2002 के दंगे से संबंधित की पुरानी दो किश्तों वाली डाक्यूमेंट्री फिल्म, जिसमें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री  व बीजेपी के वर्तमान *सितारे को सीधा दोषी बतलाया गया है, रिलीज कर दिया। सरकार इसे अन्तर्राष्ट्रीय साजिश बता और प्रसारण पर रोक लगा निबटने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी हिण्डेनबर्ग की रिपोर्ट आ गई । उफ्फ!

Hindenburg Report On Adani

इस रिपोर्ट में भारत के श्री गौतमदास अडानी पर नकली सेल कम्पनियाें के माध्यम से शेयर के भाव में लगभग 85% तक की कृत्रिम वृद्धि (ओवरवैल्यूड) का आरोप लगाया गया और उसके विरूद्ध कर्ज को लेकर बड़े- बड़े ऐसे खुलासे किये गये जिसका असर इतना भयावह हुआ कि अडानी कम्पनियों के अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शेयरों के भाव भरभरा कर गिरने शुरू हो गए।


38 से भी अधिक इन सेल कम्पनियां जिसमें कई श्री गौतम अडानी के भाई श्री विनोद अडानी की है कोई काम नहीं करती थी सिर्फ अपना सारा पैसा अडानी के शेयर खरीदने में लगा देती थी। इनके पास ये पैसा कहां से आता था? इनके मालिक कौन है? ये पता लगाना सेबी, ईडी, प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी केंद्रीय एजेंसियों और वित्त मंत्रालय का काम था जो मूक दर्शक बन तमाशा देखते रहे। क्यों? 

"तुमको सब पता है ना  माँ! "


Citi Bank, Credit Suisse, Standard Charted Bank  जैसे अन्तर्राष्ट्रीय  Investment banking कम्पनियों नेअडानी के बॉण्ड लेने और उस पर कर्ज देने से मना कर दिया है। कमाल तो ये रहा कि इस हालात में भी किसी महती सेंस से भारतीय स्टेट बैंक और एलआईसी अडानी के शेयर खरीदती रही। खबर तो ये आ रही कि  EPFO द्वारा प्रोविडेंड फंड के पैसे भी अडानी के शेयर खरीदने में लगाया गया था और अभी भी लगाया जा रहा है। अच्छा! अडानी को बनाने में भी जनता के पैसे लगे और अब अडानी को बचाने में जा रहे हैं। भाई साहब सावधान, अब पेंशन पर भी टेंशन! 

"जिन्दगी है खेल कोई पास कोई फेल

खिलाड़ी है कोई अनाड़ी है कोई"! 




बीजेपी के *सितारे और श्री गौतम अडानी की मित्रता जग जाहिर रही है और दोनों के लिये कितनी फायदेमंद  रही है वो अब जग को जाहिर हो रहा है। जब 2016 में की गई नोटबंदी और फिर अगले वर्ष की जीएसटी की मार झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक होती जा रही थी। लघु और मध्यम उद्योग धंधे बंद हुए जा रहे थे। बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती जा रही थी। फिर कोरोना संकट ने इस हालात को बद से बदतर कर दिया था। ऐसे हालात में भी सत्ता बल और धनबल की मित्रता कामयाबी दिलाती रही। 


एक  Election Bond की मदद से राजनीति में चुनाव दर चुनाव जीतता रहा वहीं दूसरा, आसानी से हासिल स्टेट बैंक सहित अन्य बैंकों LIC तथा EPFO जैसी संस्थाओं से जिसमें जनता के पैसे होते हैं मिलने वाले कर्ज और  सरकारी वरदहस्त से एयरपोर्ट, बंदरगाह, हासिल कर कॉर्पोरेट जगत में नित नए झंडे गाड़ते हुए तेजी से अमीरी की सीढ़ियों चढ़ता गया। 


देखते ही देखते 2013 में 609 स्थान पर रहने वाला श्री गौतम दास अडानी  विश्व के अमीरों की सूची में  16 सितम्बर 2022 को दूसरे नम्बर( कुछ घंटे के लिये ही सही फिर तीसरे नम्बर ) पर पहुँच गया। आज Adani Group में सात लिस्टेड कंपनियां हैं और घर के राशन से लेकर कोयले के खदान, सड़क, रेलवे, हवाई अड्डा, बंदरगाह, डाटा, उर्जा, गैस, पेट्रोल, सीमेंट, डिफेंस और एनडीटीवी के मालिकाना के बाद मीडिया तक में अडानी परिवार का दखल हो गया है। 


यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। पर हिण्डेनबर्ग रिपोर्ट ने इस चमत्कार को कॉरपोरेट जगत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार साबित कर दिया है। महीने भर में अडानी की कम्पनियों के शेयरों में लगभग, 80% की गिरावट हो चुकी है जबकि अडानी को लगभग 10 लाख करोड़ का नुक्सान हो चुका है । 

Government and Godi Media Reactions

हिण्डेनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी सरकार को लगा जैसे सांप सूंघ गया हो। क्योंकि उनके *सितारे का अडानी का संबंध बहुत पुराना था। करे तो क्या करें, बोले तो क्या बोलें? एक हफ्ते तक इनके प्रवक्ता मीडिया से गायब हो गए। विपक्ष हमलावर हो गया। तभी अडानी ने इसे राष्ट्रवाद पर हमला का सूत्र पकड़ा दिया तो फिर इनमें जान में जान आई फिर गोदी मीडिया  समवेत स्वर में हिण्डेनबर्ग रिपोर्ट को राष्ट्रवाद पर विदेशी हमला का राग अलापने लगे। 

लम्बा हो रहा है गुरू थोड़ा सो लें। अरे सो लें नहीं "शोले" 


साहिब, साहिब! होशियार रहिये

राष्ट्रवाद पर हमला हो गया है। 

ओ हो राष्ट्र वाद पर हमला। 

धड़ धड़ धड़ाम! 

क्या कहा ! भारतीय राष्ट्रवाद पर हमला? 

हम नये जमाने के विश्व गुरु हैं।

हमारे रहते भारतीय राष्ट्रवाद पर हमला ! 

सिपाहियों! ऐं! सिपाहियों ! 

आधे राहुल गांधी के पीछे जाओ

आधे अडानी को बचाओ।

और बाकि!अ हा! भक्तों

 मेरे पीछे आओ। 


अडानी से पहले इस रिसर्च कम्पनी ने अलग-अलग देशों की Nikola, Wins Finance, Genius Brands जैसी 17 कम्पनियों के खिलाफ भी ऐसे ही खुलासे किये थे तो उसे उन देशों के राष्ट्रवाद पर हमला नहीं माना गया था जबकि उन कम्पनियों भी हाल वैसे ही हुआ था जो आज अडानी की कम्पनियों का हो रहा है। दूसरा यदि राष्ट्रवाद पर हमला होता तो यूपी के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ हिण्डेनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद अडानी ट्रांसमिशन के साथ प्रीपेड मीटर का 5454 करोड़ का ठेका क्यों कर रद्द करते ?


अडानी ने अमेरिकी कोर्ट में हिण्डेनबर्ग के खिलाफ मुकदमा करने की धमकी दी पर सिर्फ धमकी ही दी, ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये। क्योंकि हिण्डेनबर्ग की रिपोर्ट में तथ्यात्मक सत्यता है। 


सरकार ने ऊपरी तौर ऐसा रूख बना लिया कि मानो अडानी प्रकरण से उसका कोई लेना देना ना हो। शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव यूं ही होते रहते हैं। अडानी का संकट है अडानी जाने। जनता का मन बहलाने के लिये नार्थ ईस्ट असेंबली की मामूली जीत को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जाने लगा। ऐसा लगा स्थिति नियंत्रण में है मोदी इकोसिस्टम पर आया खतरा टल गया है और सब शांति है। 

  


पर यह खतरा टला नहीं था और ये शांति तूफान से पहले की शांति थी।एक शख्स जिसने एकाधिकारवादी इकोसिस्टम जब अपने शैशवावस्था में ही था तभी भांप लिया था और इसपर सूटबूट की सरकार और हम दो हमारे दो की सरकार आरोप लगाकर हमले कर रहा था वो खामोश रहने वाला नहीं था। ईडी की 55 घंटे की पूछताछ का बिना डरे सामना करने वाला और कन्या कुमारी से कश्मीर तक की 3600 किमी पदयात्रा कर आत्मबल और हौसले से भरपूर लोकतंत्र और Idea of India की रक्षा को कृत संकल्पित यह व्यक्ति जिसका नाम राहुल गांधी है मोदी इकोसिस्टम से लोहा लेने को तैयार बैठा मौके का इंतजार कर रहा था। यह मौका संसद में 7 फरवरी 2023 को राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देने के दौरान मिला। 

    * बाबू समझो ईशारे! 

                 क्रमश:

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