श्री राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता और नफरती बायकाट गैंग के विरोध के वाबजूद श्री शाहरुख खान की पठान फिल्म की जबरदस्त कामयाबी जहां एक ओर भारतीय समाज की धर्म निरपेक्षता एवं लोकतंत्र पर विश्वास की द्योतक हैं वहीं 2014 के बाद बने भारतीय राजनीति और समाज के  श्री नरेन्द्र मोदी केन्द्रित एकाधिकार वादी पारिस्थितिक तंत्र (  Modi's Ecosystem) के दरकने के संकेत हैं।


रही सही कसर अमेरिका से आई हिन्डेनबर्ग रिपोर्ट ने पूरी कर दी है। इस रिपोर्ट ने विश्व में crony Capitalism के सबसे नायाब नमूने, प्रधानमंत्री के पुराने मित्र, उनकी अधिकांश विदेश यात्रा के हमसफर, और 8 साल में विश्व के 609 वें स्थान से अमीरी में 2 नम्बर पर पहुंचे श्री गौतम अडानी के शेयरों के भाव गिरा कर "दो नम्बरी अमीर" बना  दिया है।  


2014 में जनता के अच्छे दिन लाने का वादा कर बीजेपी की सरकार  सत्ता में आई थी। जनता के अच्छे दिन तो तब भी नहीं आए थे फिर भी 2019 में पुलवामा और बालाकोट जैसे भगवान जानें कैसे! घटनाक्रमों के बल पर बीजेपी सत्ता में रिपीट भी हो गई। जनता के अच्छे दिन अब तक नहीं आए।महंगाई, बेरोजगारी बढ़ गई, पेट्रोल डीजल के दाम रिकॉर्ड उंचाई चढ गया तो रूपया गढ्ढे में उतर गया। गरीबों की संख्या बढ़ गई। कमाल की बात ये है कि  एक तरफ आत्मनिर्भर भारत की बात की जाती है तो दूसरी तरफ 80 करोड़ जनता का सरकार के मुफ्त अनाज पर निर्भरता के लिये खुद की पीठ थपथपाई जाती है। 


Monopolistic Ecosystem

बावजूद इन सबके विधान सभा चुनावों में बीजेपी की जीत होती रही। जहां हारे भी वहां भी येनकेन प्रकारेण  (कुछ अपवादों को छोड़) अपनी सरकार बना ली। यह सब संभव होता रहा है क्योंकि कॉरपोरेट मित्रों और मीडिया के सहयोग से  एक Monopolistic Ecosystem विकसित की गई है। इस सिस्टम के केन्द्र में श्री नरेंद्र मोदी है ंऔर पूरा सिस्टम उनके इशारों पर चलता है। इस  Ecosystem में बहुमत के बल पर खास विचारधारा से  प्राप्त प्रेरणा से केवल मन की बात ही नहीं मन की मर्जी भी चलाई गई है।



संसद में मीडिया की मदद को लेकर भले ही कुछ भी बोला गया हो हकीकत में आधुनिक युग की लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावी जीत धन के अलावा public opinion and perceptions पर निर्भर करती है और इसे बनाने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। भारतीय मीडिया का भरपूर उपयोग इस काम के लिये किया गया है। गुजरात मॉडल, विकास पुरुष, महानायक, विश्व में डंका बजाने वाला विश्व गुरु , फलाना है तो मुमकिन है और पप्पू जैसी झूठे perceptions इसी मीडिया ने बनाये हैं जिसके कारण इसे गोदी मीडिया का तमगा प्राप्त हुआ है।


पिछले 9 सालों में शायद ही कुछ ऐसे दिन होगें मीडिया रचित कथित महानायक को मीडिया में दिखाया ना गया हो। अगर आज 24 घंटे एक ही मोदी धुन बजाती मीडिया आजाद हो जाय है तो देश को इन छवियों  से मुक्त होने में घंटे भर की देर नहीं लगेगी।  


इस सिस्टम में लोकतंत्र को सुचारू रूप से चलाने वाली स्वायत्त संस्थाओं को शक्तिहीन कर दिया गया है। चुनावी लाभ के लिए सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों, नेताओं और  Fanatic तत्वों को नफरती बयानों द्वारा मीडिया के सहयोग से समाज के दो समुदायों के बीच नफरत की दीवार खड़ी की गई। एक धर्म को दूसरे धर्म के खिलाफ कर छद्म राष्ट्रवाद की नई अवधारणा रची गई है। 


मुगलकाल को गुलामी का काल (जो कि ऐतिहासिक रूप से गलत है) बतला कर मुस्लिम नामों वाले ऐतिहासिक शहरों के नाम बदले गए हैं। बुलडोजर का ध्रुवीकरण की राजनीतिक के लिये इस्तेमाल इस सिस्टम की विशेषता बन गई है।ऊटपटांग आर्थिक नीतियों के द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान कर कॉरपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाया गया है। ईडी, सीबीआई, इनकमटैक्स आदि जांच एजेन्सियों का उपयोग विरोध की आवाज को दबाने और विपक्ष को डराने और बदनाम करने के लिये किया जा रहा है।

 

Bharat Jodo Yatra

भारत जोड़ो यात्रा इसी नफरती और एकाधिकार वादी पारिस्थितिकी तंत्र को तोड़ने के लिये की गई थी। नफरत छोड़ो भारत जोड़ो इस यात्रा मुख्य आग्रह था। इस यात्रा के दौरान  हिन्दु मुस्लिम discourse के नीचे दबे जनता के वास्तविक मुद्दे बेकारी, मंहगाई, किसानों के संकट, RSS की नफरती विचारधारा  crony capitalism लेकर जनता को जागरूक किया साथ ही  मुख्य मीडिया के  पक्षपाती आचरण का पर्दाफाश कर उसके द्वारा हिन्दु मुस्लिम बकवाद से सावधान रहने को कहा गया। 



कन्या कुमारी से कश्मीर तक चली लगभग 3600 किलोमीटर की कांग्रेस की इस पदयात्रा में जनता की भरपूर भागीदारी ने ये तो साबित कर दिया कि देश नफरत के Ecosystem से बाहर निकल पुनः गंगा जमुनी तहजीब और वास्तविक मुद्दे की ओर लौटना चाहता है। इस यात्रा से मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के जनाधार बढ़ा और उसमें नवीन उत्साह का संचार हुआ है। साथ ही बड़ी बात ये हुई है कि  इस यात्रा ने Rollins College USA  से स्नातक और फिर Trinity College, Cambridge England से M. Phil In development studies की डिग्री वाले श्री राहुल गांधी की "पप्पू की छवि" को धाराशायी कर दिया है। 


Pathaan Film Success

सिनेमा संम्प्रेषन का एक सशक्त माध्यम है और इस माध्यम का राजनीतिक उद्देश्य को लेकर समर्थन और विरोध की घटनायें नये सिस्टम में बढ़ गई है। पहली बार प्रधानमंत्री द्वारा किसी फिल्म को प्रमोट करते हुए देखा गया भले ही वो "कश्मीर फाईल्स" जैसी प्रोपेगेंडा फिल्म रही हो। जबकि भावना आहत होने के नाम पर बायकाट का सिलसिला पदमावत, पीके,लाल सिंह चड्डा, कई फिल्मों  से चल रहे हैं। इसी सूची में नया नाम पठान फिल्म का है। 


पठान फिल्म का विरोध का मुख्य कारण शाहरुख खान का इस फिल्म का हीरो होना था।  नये सिस्टम में परवान चढ़े नफरती गैंग को यह बात रास नहीं आती है कि कोई मुसलमान भारत में लोगों के दिल पर राज करे।  इसलिए फिल्म में प्रयुक्त भगवा बिकनी को लेकर हंगामा मचा दिया और इस फिल्म का बायकाट की घोषणा कर दी। पर जनता ने इस फिल्म को इतना समर्थन दिया कि इसने सफलता के  सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिये। इस तरह इस नफरती गैंग को शाहरुख खान से दूसरी बार मात मिली। इससे पहले शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को झूठे ड्रग केस को लेकर इनकी भद्द पिट चुकी थी। 




भारत जोड़ो यात्रा और पठान फिल्म की सफलता से तीन बातें साबित हुई। पहली तो ये कि इसने जनता के दिल से सत्ता और नफरती गैंग का डर निकाल दिया। लगता है कि श्री राहुल गांधी द्वारा शिव की अभय मुद्रा का वर्णन लोगों को भा गया। दूसरे ये कि  श्री शाहरुख खान किसी सम्प्रदाय के नहीं पूरे हिन्दुस्तान के हीरो हैं। तीसरे भारत की बहुसंख्यक जनता अभी भी Idea of India  का साथ खड़ी है । यह बात किसी सिस्टम को चाहे भली लगे या बुरी। ऐसे में नफरती गैंग के लिये संदेश यही है कि

 अब चाहे अपना सिर फोड़ो या माथा,

 मैने तो राह पकड़ ली, 

 हो यारी छूटे ना, टूटे ना

 जो कर ली तो कर  ली। 

      अडानी ने बढ़ाई परेशानी  to be continued   

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