खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य, लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी दिल को चोट पहुँचती है तो उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
पिछले दो महीने से भारत में सियासी तापमान बढ़ चला है मानो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिये अभी से कमर कसी जा रही हो। सत्ता पक्ष और विपक्ष की राजनैतिक गतिविधियां और पार्टी तोड़ने और छोड़ने का सिलसिला दोनों तीव्र होते जा रहे हैं। इसी बीच"उदयपुर चिंतन शिविर" से प्राप्त उर्जा के बल पर पुराने आन्दोलनकारी मोड पर आई कांग्रेस पार्टी 7 सितम्बर से कन्या कुमारी से कश्मीर तक "भारत जोड़ो यात्रा" पर निकल पड़ी है जिसे कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक भी बतलाया जा रहा है।
यह यात्रा एक पदयात्रा होगी जो तकरीबन 3570 किलोमीटर लम्बी होगी और इसे पूरे होने में 150 दिन लगेंगे। यह भारत के 12 राज्यों और दो यूनियन टेरिटरी से गुजरेगी और जिन राज्यों से नहीं भी गुजरेगी वहां भी लघुतम रूप में इस तरह की यात्रायें निकाली जायेंगी। इस यात्रा की अगुवाई कांग्रेस पार्टी के नेता श्री राहुल गांधी करेंगे जो अपने 117 साथियों के साथ यात्रा के शुरू से अंत तक रहेंगे। पर इस यात्रा में कांग्रेस के झंडे की बजाय तिरंगे झंडे का इस्तेमाल होगा और इस यात्रा का टैगलाइन होगा "मिले कदम, जुड़े वतन! "
इसलिये इस यात्रा में देश का हर कोई व्यक्ति, पार्टी या संगठन शामिल हो सकता है जो देश में बीजेपी शासन के दौरान समाज में फैली नफरत और हिंसा से दुखी है और उसे खत्म कर समाज को जोड़ना चाहता है। यही कारण है कि इससे सिविल सोसाइटी के वे लोग भी जुड़ रहे हैं और अभी तक कांग्रेस के खिलाफ रहे देश भर के 150 से अधिक जन आन्दोलनकारी संगठन भी।
इस यात्रा का उद्देश्य देश की जनता से सीधे जुड़ कर उन्हें प्रेम और भाईचारे का संदेश देना है। उन्हें समझाना है देश की समस्या हिन्दु-मुस्लिम विवाद नहीं है बल्कि ये सरकार और उसकी मीडिया द्वारा उनकी मूल समस्या पर परदा डालने और चुनाव जीतने की साजिश है। नफरत की आग में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है अत: वे ऩफरत को त्याग कर अपने विवेक को जागृत करें तभी वे अपनी वास्तविक समस्या को समझ सकेंगे।
आज देश की वास्तविक समस्या महंगाई और बेरोजगारी, और कमजोर आर्थिक हालात हैं। सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों को बेचा जा रहा है। इसकी जिम्मेवार सिर्फ कोरोना नहीं सरकार की गलत नीतियां हैं। अभी तक भारत की यूएसपी रही अनेकता में एकता, धर्मनिरपेक्षता और उदार और आधुनिक लोकतंत्र सभी खतरें में है। लोकतांत्रिक संस्थाओं की शक्तियां क्षीण होती जा रही है सत्ता निरंकुशवाद की दिशा में आगे बढ़ रहा है। जांच एजेन्सियों का गलत इस्तेमाल कर विरोध की आवाज को दबाया जा रहा है। भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य जनता को इन खतरों से अवगत कराना है।
वैसे ये काम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ प्रेस और मीडिया का है पर जैसा कि राहुल गांधी ने दिल्ली के खुले मंच से कह दिया कि मीडिया विपक्ष के साथ तो नहीं ही है बल्कि खिलाफ है। ये भी सरकार की गुलाम हो चुकी है विपक्ष के सवाल या सच्चाई नहीं दिखलाती इसलिए भी हमें पदयात्रा करनी पड़ रही है। पर सवाल उठता है कि बिना मीडिया के सहयोग के यह आन्दोलन सफल होगा? लोगों की भागीदारिता कितनी होगी?
याद रखना होगा कि अन्ना हजारे के आन्दोलन को लोकप्रिय बनाने में मीडिया ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया था।पर इन प्रश्नों का जवाब भी श्री राहुल गांधी ने यह कह कर दे दिया है कि कोई ना भी जुड़े तो मैं अकेले ही पदयात्रा करूंगा। दूसरे मुख्य मीडिया खिलाफ है तो सोशल मीडिया भी तो है। रिपोर्ट है कि पहले ही दिन 50 हजार से अधिक गैर कांग्रेसी लोगों ने रजिस्टर कर इस यात्रा से जुड़ने की इच्छा जाहिर की है।
श्री राहुल गांधी ने यह भी कह दिया कि भारत जोड़ो यात्रा मेरे लिये तपस्या है। यदि तपस्या है तो राक्षसी विघ्न बाधाएं भी खड़ी की जायेंगी। कहीं ED का ही सम्मन ना आ जाये! श्री राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों को इससे निपटने के लिये तैयार रहना होगा। पहले अगस्त फिर 4 सितम्बर की महंगाई के खिलाफ सफल हल्ला बोल रैली ने कांग्रेसियों में आत्मविश्वास तो जगा ही दिया है और लगता भी है कि वे अब किसी भी चुनौती के लिये तैयार हो गये हैं।
सवाल यह है कि इस यात्रा से कांग्रेस और देश को लाभ मिलेगा कि नहीं। यद्यपि कांग्रेस ने कह दिया कि इसका उद्देश्य राजनीतिक लाभ लेना नहीं है फिर भी कांग्रेस को निश्चित लाभ होगा। वो जनता के सरोकार के मुद्दे से जनता से संवाद करेगी तो उसके जनाधार बढ़ेंगे। श्री राहुल गांधी का नेतृत्व निखरेगा उन पर जनता का विश्वास बढ़ेगा। करोड़ों रूपये खर्च कर पप्पू और पार्ट टाइम पोलिटिशियन की गढ़ी गई छवि से मुक्ति मिलेगी।
कांग्रेस मजबूत होगी तो विपक्ष भी मजबूत होगा और यदि विपक्ष मजबूत होगा तो लोकतंत्र और देश दोनों मजबूत होगें और Idea of India पुनः स्थापित होगी। यही सिविल सोसाइटी और जनआंदोलन से जुड़े संगठन भी चाहते हैं। इसलिए
गुड लक राहुल गांधी!
गुड लक कांग्रेस!
नोट - मित्रों आपके समर्थन से आपका ये वेबसाइट Feedspot के top 30 blog में शामिल हो गया है।
Congress ki vichardhara hi bharat ko ekjut rakh sakti hai....isme civil socisty ka sahyog milna samaya ki maang hai aasha hai desh ki janta bhi judegi ur desh ka bhala hoga.....ameen
जवाब देंहटाएंजय श्री राम 🙏
हटाएंजय श्री राम कहने से ही हर शख्स रामभक्त नहीं होता, सिर्फ वानर होने मात्र से ही हर वानर भक्त हनुमान नहीं हो सकता।
हटाएंBehtareen analysis.
जवाब देंहटाएंकांग्रेस का साथ छोड़ो अभियान भी बहुत पीक पर है
जवाब देंहटाएंबीजेपी से मुँह मोड़ो जोड़ो पर है...
केजरीवाल या नीतीश जी को बढ़ाना ही अब विकास यात्रा का अंतिम विकल्प है
Sat pratishat kamyab hoga vipack ka hawa dhila ho gaya hai roj Naya Naya Sagufa chod rahe hain Rahul Gandhi jindabad Jai Congress
जवाब देंहटाएं