पिछले महीने भारतीय राजनैतिक परिदृश्य के  संलाप इतने तेजी से बदलते रहे हैं मानो हम एक फिल्म की बजाय कई फिल्मों की ट्रेलर देख रहे हों। अपने मूल प्रश्नों से दूर जनता मीडिया द्वारा प्रस्तुत खुदाई,ढ़हाई,  पूछताई,तुड़ाई और गिराई के बदलते दृश्यों में उलझ कर रह गई है। वैसे दृश्य और संलाप के इस द्रुत परिवर्तन के पीछे कारण प्रायोजक का हर दृश्य में भद्द पिटना भी रहा है।

 
widespread communal polarization


दरअसल पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से उत्पन्न  सुखद स्थिति में पहुंची सरकार के नेतृत्व में देश में सब ठीक-ठाक चल रहा था। देश शाहीताना की सवारी कर विशेष विचारधारा के मार्ग पर संस्थाओं की स्वायत्तता हड़ते हुए प्रजातांत्रिक अवरोधों को लांघ कर तेजी से आगे बढ़ रहा था।


देश की मूल समस्याओं यथा-बढ़ती बेकारी और बढ़ती महंगाई का तारतम्य बढ़ते राष्ट्रवाद के साथ बैठाया जा रहा था जबकि देश की बाकि समस्याओं के लिए नेहरू और कांग्रेस की जिम्मेदारी पहले ही तय की जा चुकी थी।


पार्टी की चुनावी आवश्यकता को ध्यान में रख हिन्दु-मुस्लिम ध्रुवीकरण का कार्य न केवल सुचारू रूप से जारी थे बल्कि धर्म सांसदों के  अग्नि वचनों और सशस्त्र व उन्मादी धार्मिक  जुलुसों  द्वारा इसे पर्याप्त गति दिया जा रहा था।  काशी, मथुरा जैसे प्रश्नों पर देश को अशान्त करने का काम भी शान्तिपूर्ण ढंग हो रहे थे ।


बाबा मिले या ना मिले पर बाबा के नाम पर मीडिया टीआरपी बटोरे जा रही थी। हिन्दु -मुस्लिम  वाद- विवाद और सड़क पर बुलडोजर के पराक्रम से भक्तगण अभिभूत हुए जा रहे थे।


एक खास समुदाय के बिलखते लोगों के ढ़हाते मकान और दुकान के दृश्यों में अजब -सा सुख तलाशा जा रहा था। एक विशेष राष्ट्र घोषित होने में भले देर हो पर पक्षपाती कार्यवाही से सेकेण्ड क्लॉस सिटिजन निर्माण के काम भी पूर्णता पर पहुंच रहे थे।


भारत की पथपरिव्रतनीय गत्यात्मका की ये स्थिति, महाशक्ति अमेरिका को फूटी आंख नहीं सुहाई। वहां सरकार के उच्च स्तर पर भारत के हिन्दु धर्म संसद के  बड़बोले सांसदों और देश में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के मूल ठेकेदारों के खिलाफ वीजा रद्द करने और बैंक खाते बंद करने जैसे उपायों पर विचार होने लगा। इसे परिवर्तन पथगामी देश के सामने रोड़े बिछाना भी कह सकते हैं।


आसन्न खतरे को भांपते हुए  "संतरे की नगरी" से  सुपर आका का एक पैगाम आया कि हर जगह शिवलिंग ढूंढ़ना सही नहीं है और हम इस तरह के खोजो और खोदो आन्दोलन का समर्थन नहीं करते। इस एक पैगाम ने अतिवादी उत्साह पर ब्रेक लगा दिया , ध्रुवीकरण उद्योग सकते में पड़ गया और रोजगार पर संकट उत्पन्न हो गए।


 
Controversial words of Nupur Sharma


इस व्याप्त निराशा को दूर करने की बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा ने पैगम्बर मुहम्मद के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर भरसक कोशिश की। इससे देश के भीतर भावना भड़काने, सौहार्द बिगाड़ने और देश में कई जगह उपद्रव और हिंसा कराने सफलता तो मिल गई है लेकिन इस बदजुबानी ने विदेशों में देश की साख को कम भी कर दिया।


उनकी इस धृष्टता पर  15 मुस्लिम देशों के जबरदस्त प्रतिकार  ने "अपने कार्य काल में भारत का सिर नहीं झुकने नहीं दिया" स्वंयभू विश्व गुरू  की गर्वोक्ति की पोल खोल के रख दी। प्रवक्ता को   Fringe element कह पद से हटाना पड़ा  FIR भी करने पड़े तथा भारत को इन राष्ट्रों के सामने इतिहास में पहली बार  माफीनुमा सफाई देनी पड़ी।  कट-कट- कट। दृश्य परिवर्तन किया जाय। 


Ed summons Rahul Gandhi



इसके लिये कांग्रेस मुक्त भारत के मार्ग की सबसे बड़ी बाधा "गांधी परिवार" की,  "नेशनल हेराल्ड केस" पुन: खोल कर ED के सामने पूछताछ की क्लास लगवा दी गई। श्रीमती सोनिया गांधी की पूछताछ बीमारी के कारण फिलहाल टल गई है पर श्री राहुल गांधी की पूछताछ चली वो भी पांच दिनों तक 50 घंटे के ऊपर।


इससे  मीडिया का संलाप बदलने में सफलता तो मिल गई पर श्री राहुल गांधी के मनोबल में कोई कमी नहीं आई क्यों कि सरकार की गलत नीतियों के प्रति उनके सख्त तेवर ज्यों के त्यों बने हुए हैं। लगता है बिना किसी कैमरे के सामने विपश्यना योग करने वाले इस योगी ने ED को ही थका डाला। यह भी स्पष्ट  हो गया कांग्रेस में एकजुटता गांधी परिवार ही ला सकता है। भले विरोधी और बुध्दिजीवी कुछ भी कहते रहें।

 
ED  के इस कदम  ने  सुस्त पड़े कांग्रेसियों में नया उत्साह भर दिया।अपने नेता के समर्थन में वे सड़क पर उतर आये, देश भर में ED दफ्तरों के सामने धरने दिये, बहुत दिनों बाद लाठियां  खाई, गिरफ्तारियां भी दी।  इस पूछताछ ने कांग्रेसियों में आपसी गुटबाजी भूल सड़क पर लड़ने का जज्बा पुन: उत्पन्न कर दिया है।


सड़क पर लड़ने का ये जज्बा जनता के मुद्दों पर भी दिखलाने की जरूरत है। इतिहास साक्षी है जब विपक्ष सड़क पर लड़ता दिखता है तो साथ जनता भी आती है और ऐसा होने पर मजबूत से मजबूत सत्ता पक्ष को विपक्ष बनते देर नहीं लगती। 

अरे! ये क्या हो रहा है? कट-कट! सीन बदल, बदल! जी सर! टेक वन टेक टू  क्लैप!

 
Agneepath a controversial scheme


अगले डेढ़ साल में 10 लाख युवाओं को केन्द्र सरकार के विभिन्न विभागों में भर्तियां की जायेगी ।निराश युवाओं में कुछ उम्मीदें जागी। समथिंग इज बेटर देैन नथिंग। यह सुखद अहसास तुरंत काफूर हो गया जब भारतीय सेना के तीनों अंगो में बहाली के अग्निपथ स्कीम की घोषणा की गई। इस स्कीम की मूल बातें हैं यथा -


(1) सेना के तीनों अंगों में ननकमीशंड स्तर पर बहाली मात्र 4 सालों की होगी और इन्हें  अग्नि वीर कहा जायेगा।
(2) बहाली की उम्र सीमा 17 से 21 साल होगी ,  2022 के लिये 23 साल।
(3)   सिर्फ 6 महीने की ट्रेनिंग होगी ।
(4) कुल भर्ती के  upto 50%  की बहाली नियमित की जायेगी। बाकि बिना पेंशन के तकरीबन 12 लाख रूपये देकर रिटायर कर दिये जायेंगे।


इस स्कीम ने युवाओं को आक्रोशित कर दिया। बिहार से शुरू विरोध की अग्नि देखते-देखते पूरे देश में फैल गई। बिन नेता स्वस्फूर्त आन्दोलन हिंसक हो गया। रेलवे सहित सरकारी सम्पतियों को काफी नुक्सान पहुंचाया गया। मीडिया में हजार करोड़ की सम्पत्ति के नुक्सान की चर्चा प्रमुख हो गई युवाओं के नियमित सैनिक बनने के अमूल्य सपने के नुकसान के प्रश्न गौण कर दिये गये।


upto 25% का मतलब 25% से रत्ती भर अधिक नहीं  और कम का मतलब रत्ती भर भी हो सकता है ये  बात युवाओं को समझ में आ गई थी। बाद में जब से विपक्ष की लगभग सभी राजनैतिक पार्टियां  इस विरोध में शामिल हुई  तो इस आन्दोलन से हिंसा का तत्व खत्म हो गया पर यह आन्दोलन जारी है। किसान यूनियन भी इस स्कीम के विरोध में सड़क पर उतर चुके हैं।  वे इसे तीन कृषि कानूनों पर हार का सरकारी बदला मान रहे हैं। क्योंकि सेना के इस स्तर पर बहाल होने वाले अधिकतर इन्हीं के बच्चे  होते हैं।
 

 
सरकार इसे युवा और सेना के हित में साबित करने में तुली हुई है। जबकि विपक्ष 4 साल की नौकरी को युवाओं से छल और मात्र 6 महीने की ट्रेनिंग को देश की सुरक्षा के लिये खतरा मानता है। यह सिर्फ पेंशन के पैसे बचाने का मामला है बाकि बहाना है। जिद पर अड़ी सरकार ने बहाली की अधिसूचना भी जारी  कर दी है।


विरोध भी जारी है सेना के रिटायर्ड सैनिकों के बड़े-बड़े नाम इसमें शामिल हो गए हैं।मेजर जनरल जी डी बख्शी का कहना है कि सिर्फ पैसे बचाने के लिए हमें जो कुछ भी है उसे नष्ट नहीं करना चाहिए।राज कोदायम जो पूर्व vice chief of Army Staff रहे हैं उनका मानना है इसे " कम जोखिम वाले संगठन में आजमाया जाना चाहिए।..... मैं केवल आशा और प्रार्थना करता हूं कि कोई युद्ध न हो।" परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह ने ट्वीट किया कि "अग्निपथ स्कीम भारतीय सेना को बर्बाद कर देगी और इसका फ़ायदा चीन और पाकिस्तान को मिलेगा।"


 कट कट कट! सीन बदल। अरे जल्दी बदलता है कि नहीं!
 ज ज जी  सर। टेक वन  टेक टू।

खतरे में  महाराष्ट्र की उध्दव सरकार! ED पीड़ित शिव सेना के विधायकों की बगावत!.......

दरअसल खतरे में कोई सरकार ही नहीं पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था है, एक उदार और सहिष्णु समाज है, सेकुलर संविधान है, खतरे में  कानून के समक्ष समानता और कानून का समान संरक्षण है, खतरे में अमन  एवं शांति है यदि नोबेल पुरस्कार अमर्त्य सेन की माने तो खतरे में राष्ट्र है।हालात ये हैं कि  अर्थव्यवस्था श्रीलंकोन्मुखी होती जा रही है और राजनीति अफगानिस्तानोन्मुखी। दृश्य या सीन नहीं, देश बदल रहा है। भारत को भारत ही रखना होगा इसके लिए


अरे भई! आखिर हम करें तो क्या करें?


प्रार्थना करें! भगवान से? नहीं विश्वगुरू से!

" मुझे तुम से कुछ भी नहीं चाहिए,
  मुझे मेरे  हाल पर छोड़ दो,
  मुझे  मेरे हाल पर छोड़ दो।।"


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