बीजेपी प्रवक्ता श्री संबित पात्रा के कांग्रेस के ट्वीटर पर कथित "टूलकिट" के पर्दाफाश ने पिछले दिनों मीडिया में काफी हंगामा मचा रखा है। आमतौर पर टूलकिट सोशल मीडिया के द्वारा किसी कैम्पेन चलाने के लिए बनाए जाने वाले योजनाओं के दस्तावेज को कहते हैं और सभी टूलकिट गैरकानूनी नहीं होते। टूलकिट को लेकर ऐसा ही हंगामा ग्रेटा थनबर्ग के उस ट्वीट पर हुआ था जिसमें उन्होंने किसानों के आंदोलन का समर्थन की बात कही थी। 


संबित पात्रा ने दावा किया कांग्रेसी टूलकिट का उद्देश्य  विश्व में  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और  देश को बदनाम करना है। कांग्रेस ने इसे फर्जी बतलाते हुए संबित पात्रा सहित बीजेपी के नेताओं पर एफ आई आर कर दिया है, जबकि ट्वीटर ने भी माना कि ये फर्जी हैं उस ट्वीट पर manipuleted का टैग लगा दिया ।


सरकार ने इस टैग को हटाने को कहा जिसे ट्वीटर ने  अपनी यूनीवर्सल पॉलिसी के तहत नहीं माना तो दिल्ली पुलिस ने ट्वीटर के दफ्तर पर छापेमारी कर दी। इस छापामारी से मिला तो कुछ नहीं सरकार और देश की और बदनामी हुई सो अलग। गृहमंत्री की दिल्ली पुलिस भी गजब है जिन पर आरोप लगे उनसे पूछताछ करने के बजाय जहां पर आरोप लगे हैं वहां पहुंच गई। इसे कहते हैं "कन्ही गाय के भिन्हे बथान।"


परन्तु प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जैसे लोकप्रिय एवं 300 से उपर सांसदो से युक्त महाबली अपनी बदनामी के लिए किसी टूलकिट के मोहताज नहीं हो सकते। इस मामले में उन्होंने आत्मनिर्भरता का गजब का मिसाल पेश किया है। उन्होंने जनवरी 2021 में अन्तर्राष्ट्रीय फोरम पर कोरोना पर विजयी पाने और विश्व की पूरी मानवता को बचा लेने के  लिए स्वंय ही अपनी पीठ थपथपाई थी और उसके बाद कोरोना से भारत में जो विभीषिका हुई उसने उनकी बदनामी के लिए किसी टूलकिट की जरूरत ही खत्म कर दी है।


अस्पताल के लिए भटकते लोग, ऑक्सीजन और दवा के अभाव में मरती जिदंगियां, श्मशान और कब्रिस्तान  की लम्बी कतारें, गंगा में बहते शव, नदी किनारे दफन लाशें , बेबस रोते-सिसकते लोग और हलकान प्रशासन किसी भी सरकार की अकर्मण्यता की कहानी स्वयं बयान करती है। ऐसे में जब सारी दुनिया भारत में कोरोना की दूसरी लहर को पसरते देख चिंतित थी उस समय भारत के प्रधानमंत्री बंगाल चुनावी रैली में भीड़ दिखा रहे थे। ये सारी तस्वीरें पूरी दुनिया ने देखा है इसे लेकर श्री नरेन्द्र मोदी की कैसी छवि बनी होगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।



यदि  फिर भी मुश्किल हो रही है तो विश्व की सबसे बड़ी पब्लिसिंग हाउस the Economics में 18 मई 2021 को प्रकाशित उस लेख को देखें  जिसने  दुनिया में कोरोना महामारी से निबटने में विश्व के सबसे अक्षम एवं बुरबक  5 शासकों का लिस्ट जारी किया है। इसके लिए 6 अवगुणों  का एक पैमाना बनाया गया है  यथा-जनता का प्रतिनिधित्व करने का गरुर होना, राजनैतिक प्रतिद्वंद्वी का मजाकिया लहजे में  अपमानित करना, जातीय/धार्मिक अल्पसंख्यकों से नफरत रखना, संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करना, कानून का सम्मान न करना और विज्ञान की अवहेलना करना। ‌ 


इस पैमाने के आधार पर the Economics में प्रकाशित 5 महानुभावों की लिस्ट में  मेक्सिको के ओब्राडोर, ब्राजील के बलसानरो, हंगरी के विक्टर ओरबन, अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के श्री नरेन्द्र मोदी का नाम भी शामिल है। इनमें भी  ब्राजील के बलसानरो, अमेरिका के डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के श्री नरेन्द्र मोदी पैमाने के सभी के सभी अवगुणों पर बिल्कुल खड़े उतरे हैं।



श्री मोदी  की ये 6 अवगुण संपन्न की छवि को विदेश में किसी टूलकिट ने नहीं बनाया है बल्कि सात सालों का उनका क्रियाकलाप और कोरोना को लेकर उनकी अन्यमयस्कता, आत्मतुष्टि और वैज्ञानिकों की चेतावनी को नजरंदाज करने जैसे " कूल(cool) कृत्यों" ने किया है। रही देश को बदनाम करने की बात तो यह समझ लेना चाहिए श्री नरेन्द्र मोदी देश नहीं हैं यह अलग बात है विदेशों में यह लगता हो कि भारत जैसे खूबसूरत देश के प्रधानमंत्री ऐसे क्यों हैं? इसी को देश की बदनामी समझ लेना "कोई अच्छी बात नहीं है।"



प्रधानमंत्री की छवि की चिंता भारत में गोदी मीडिया को भी है इसलिए उसे बचाने का गंभीर प्रयास कर रही है। कोरोना की दुश्वारियों के पीछे कभी सिस्टम, कभी कांग्रेस तो कभी चीन तक को जिम्मेवार बतलाने की कोशिशें निरंतर जारी है। पर सोशल मीडिया पर  सरकार का बस नहीं चल रहा है वहां मीडिया में श्री मोदी की भावुकता को नाटक और इसके पीछे उनकी घटती लोकप्रियता और आने वाले  कठिन प्रश्न - यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव की चिंता बतलाया जा रहा है। 



इसलिए सोशल मीडिया पर नकेल कसने के लिए  केन्द्र सरकार New information technology rules 2021 लाई है। सोशल मीडिया पर अश्लील और गाली -गलौज की भाषा को रोकना तो सही  हो सकता है पर अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाना प्रजातंत्र के लिए खतरनाक है और दुनिया में देश की बदनामी का एक और सबब भी बन सकता है। इस नये कानून से इसी बात का अंदेशा है।



देश की बदनामी रोकनी है तो वैसे लोगों पर नकेल कसना चाहिए जो सामूहिक रुप से गोबर स्नान करने का विडियो यह कह कर वायरल करते हैं कि इस से कोरोना नहीं होगा। नकेल कसिये वैसे सांसद पर जो कोरोना निवारण के लिए गोमूत्र के सेवन की खुलेआम वकालत करते हैं। वैसे विधायक पर जो लंस की परेशानी जूझ रहे लोगों को ठेले पर धुआं छोड़ते हैं।


नकेल कसनी है तो उस कथित बाबा पर कसिये जो यह कहता है कि एलोपैथी दवाईयां , कोरोना वैक्सीन और  लोगों की जान बचाने में शहादत दे रहे डाॅक्टर कोरोना से हुई मौतों के जिम्मेदार हैं। यह राष्ट्रीय आपदा कानून का खुल्लम खुल्ला उलंघन है।उसकी सीनाजोरी देखिए जो कहता है किसी का बाप मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकता। ये दुनिया के सभी डाक्टरों का ही नहीं बल्कि सभी बाप लोगों के आत्मसम्मान का भी सवाल  हो गया है।



 ऐसे verbal वायरस की एंटीबाडी , उनमें है जिन्होंने शादी नहीं की और उनमें भी जिन्होंने शादी की पर बाप न बन सके। पर उनका क्या जो बाप बन चुके हैं और उनकी भी जिनके बाप बनने की संभावना है। इनकी संख्या करोड़ों में है जब लाखों की मौत पर क्रंदन हो सकता हैं तब करोड़ों की आत्म सम्मान की रक्षा के लिए एक्शन क्यों नहीं। इसलिए  दुनिया के बापों एक हो !