भारत में कोरोना वायरस  कहर बन कर टूट पड़ा है। भयानक मंजर है।अस्पतालों में जितनी मौतें हो रही हैं उनसे ज्यादा जलाये और दफनाये जा रहे हैं। अधिकांश मौतें ऑक्सीजन की कमी से हो रही हैं। हाहाकार मचा है ।पूरा देश मौत की दहशत में जी रहा है।


दहशत इस बात का है कि अव्वल हाॅस्पिटल में जगह मिलेगी की नहीं , और यदि जगह मिल भी गई तो ऑक्सीजन मिलेगा की नहीं? अस्पताल और राज्य सरकारें लगातार ऑक्सीजन के लिए केन्द्र से गुहार लगा रही है। इस समस्या को लेकर अदालतें भी मैदान में आ चुकी हैं।  समाधान तो होगा ही पर समय लगेगा तब तक न जाने कितनी जानें जा चुकी होंगी।


Responsibilities


ऐसे हालात की जिम्मेवारी किसकी ?
केन्द्र सरकार, जो राज्यों को ऑक्सीजन आबंटन करती है या फिर  National Disaster Management Authority जिसपर इस आपदा से संबंधित तमाम अधिकार  हासिल हैं। इन दोनों के ही प्रमुख श्री नरेन्द्र मोदी हैं। यही कारण है कि जहां गोदी मीडिया इस विपत्ति के लिए सिस्टम-सिस्टम चिल्ला रहा है वहीं जनता इस सिस्टम को चलाने वाले लोकप्रिय प्रधानमंत्री " "मोदी-ओऽऽ -मोदी " का रोना रो रही है ।


Excuses and lies

बीजेपी के नेता,मंत्री और प्रवक्ता आक्सीजन की कमी न होने का दावा कर रहे हैं। यूपी के योगी- महात्मा तक झूठ बोलने को विवश हो गए हैं। सवाल है कि आक्सीजन की कमी नहीं होती तो 50000 मीट्रिक टन के आयात का न तो गलोबल टेंडर निकालना पड़ता और न ही देश के उद्दोगों को ऑक्सीजन सप्लाई रोकनी पड़ती।


ट्रांसपोर्टेशन की  भी समस्या है टैंकर की कमी है तो इसे हल भी पहले हो जाना चाहिए था। कालाबाजारी भी है पर अफरातफरी का माहौल तो ऐसा मचा है कि पूरे देश में कि एक राज्य की सरकारें दूसरे राज्य द्वारा आक्सीजन टैंकर  रोकने या लूटने  जैसी सीनाजोरी की शिकायत कर रही हैं।


Terrible negligence

कोरोना , एक राष्ट्रीय आपदा  अप्रैल 2020 से घोषित है और अभी जारी भी है।  समस्या के शुरूआत में ही माना गया था कि ऑक्सीजन की  कमी होने वाली है इसलिए नये ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बातें भी हुई  थी। CMSS स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त एजेंसी है, ऑक्सीजन प्लांट लगाने हेतु निविदा जारी करने से लेकर स्थापना और कमीशन करने तक इन्हीं की जिम्मेदारी होती है किसी राज्य सरकार की नहीं।


यह मंथर गति से काम करता रहा न मंत्रालय ने ध्यान दिया और न ही  NDMA ने। पिछले एक साल में यह  200 करोड़ के बजट वाले 150 प्लांट का निविदा ही निकाल पायी और उसमें भी अभी तक कार्यरत 33 ही हो पाये है।


Reasons behind negligence

यह घनघोर लापरवाही ऐसे ही नहीं हुई है बल्कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की कार्यशैली , अहंकारोन्मादी आत्ममुग्धता और हतप्रभ कर देने वाली अदूरदर्शिता के कारण हुआ है । उन्होंने जनवरी 2021 में ही लावोस के world Economic Forum  के मंच पर यह घोषणा कर डाला कि भारत ने कोरोना पर  प्रभावी नियंत्रण कर पूरी दुनिया और सारी मानवता को भयानक त्रासदी से बचा लिया। प्रधानमंत्री के साथ सुर मिलाते हुए फरवरी 2021में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने अपने प्रस्ताव में  कहा  कि भारत ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में कोरोना को हरा दिया।


Premature celebration

ये वक्तव्य बतलाते हैं कि प्रधानमंत्री और बीजेपी ने कोरोना संकट समाप्त -सा मान लिया था। ऐसे में लापरवाही होनी ही थी और सिस्टम  को भी गड़बड़ाना ही था। यही कारण था कि मनपसंद चुनाव कार्यक्रम भी चलते रहे लोगों को before time कुंभ में डूबकियां भी लगवा दी। नये ऑक्सीजन प्लांट लगाने से ज्यादा तैयार ऑक्सीजन को export करने पर ध्यान दिया गया।


आश्चर्य है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक और स्वयं का सरकारी सर्वे  भी कोरोना के दूसरे और खतरनाक लहर आने की भविष्यवाणियां कर रहा था। विपक्ष की नेता श्रीमती गांधी ने भी सरकार और बीजेपी के रवैए को premature celebration  कह के सावधान किया था।  फिर भी ये गलती!


Disastrous consequences

स्व० विश्वनाथ प्रताप सिंह ने 1989-1990 में प्रधानमंत्री बनते हुए कहा था कि वे देश के लिए विनाशकारी साबित होंगे। स्व० वी पी सिंह तो देश से अधिक कांग्रेस के लिए विनाशकारी साबित हुए थे। यह महत्वपूर्ण काम तो वर्तमान प्रधानमंत्री श्री मोदी ही पूरा कर रहे हैं।


पूर्व जस्टिस अरुण मिश्रा की नजर में वैश्विक सोच वाले इस बहुमुखी प्रतिभा के  सप्तवर्षी शासन काल में देश की अर्थव्यवस्था अक्लबंदी की नोटबंदी और  हड़बड़ाहट की जीएसटी से, घटता जीडीपी,मरते मध्यम और लघु उद्योग और बढ़ती बेरोजगारी का मॉडल बन गई है। लव जिहाद, गो रक्षा , माॅब लिंचिग के कार्यक्रमों और  एनआरसी एवं एनपीआर जैसे कानूनों से देश के धर्मनिरपेक्ष सहिष्णुतावादी छवि को दाग लगा है।


स्वतंत्र मीडिया  सरकार के सामने नतमस्तक हो गई है। पिंजड़े का तोता पालतू कुत्ते बन गए हैं जब चाहे जिस पर हड़का दिए जाते हैं। जनता हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट के भरोसे है जबकि सुप्रीम कोर्ट पर सिर्फ सरकार का ही भरोसा बढ़ा है। देश की  स्वायत्त संस्थायें अपनी स्वायत्तपना  गंवा चुकी हैं। 


चरखे से महात्मा गांधी को गायब कर स्वयं बैठ गए तो स्टेडियम से सरदार पटेल नाम उड़ा कर अपना खुदवा लिया। धारा 370 और कश्मीरियों और कृषि कानूनों और किसानों के खिलाफ रवैये  ने अब देश को कम प्रजातांत्रिक और अधिक कट्टरपंथी बना दिया है। वर्तमान ऑक्सीजन संकट इस बहुमुखी प्रतिभा की एक नई बानगी भर है।


आश्चर्य होता है कि कभी श्री वेंकैया नायडू ने
इन्हें भारत पर ईश्वर की एक कृपा बताया था। कुछ इनके भाषण से वशीभूत रहते हैं तो दाढ़ी के तिलिस्म में फंसे  कुछ लोगों को इनमें गुरु टैगोर दिखाई देते हैं तो कईयों ने तो इन्हें अवतार ही मान लिया है। पर अभी न तो कल्कि अवतार का समय आया है और न ही  इनके लापरवाही भरे कृत्य से मरने वाले पापी हैं। हे ईश्वर ऐसी आपदा और ऐसे अवतार से देश की रक्षा करना।