Corona explosion In India.





भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने विस्फोटक रूप ले लिया है। 21अप्रैल 2021 के आंकड़े तो और दिल दहलाने वाले हैं 3 लाख 14 हजार से ऊपर संक्रमित और 2101 मौत।  ऐसे में मोदी सरकार का कोरोना की पहले ही बिना इंजेक्शन हराने की बात के साथ ही फरवरी 2021में  हेल्थ सेक्टर की मजबूती और भविष्य की तैयारी के दावे भी खोखले साबित हो गये हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने विपक्ष के नेता को पप्पू कह मजाक उड़ाने वाले पूरी सरकार को पप्पू साबित कर दिया है।


Shortage of oxygen and Injections


अस्पतालों में कोरोना मरीजों की भर्ती की और श्मशानों और कब्रिस्तानों में  जलाने और दफनाने की लम्बी लाईन लग रही हैं। देश में आक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं। सरकार कोरोना टीका सप्ताह मना रही है जबकि टीके पूरे हैं ही नहीं। ये हालात तब हो गये हैं जब दुनिया में सबसे अधिक  कोरोना के टीके और आक्सीजन भारत में ही बनते हैं। इसी तरह कोरोना ट्रीटमेंट में आवश्यक remdesivir इंजेक्शन के भी लाले पड़ गए हैं ।


Bad Planning


कोरोना की दूसरी लहर आने वाली है यह हर किसी को पता था मोदी सरकार को भी। तैयारी पूरी रखनी थी आसन्न संकट के लिए आवश्यक वस्तुओं को जमा कर रखना था। ऐसे में दुनिया की कोई पप्पू सरकार ही होगी जो अपने देश की जरूरत पूरा करने की बजाय इन जरुरी चीजों को विदेशों को एक्सपोर्ट करती रहे। भारत के मोदी सरकार ने  ऐसा ही किया है।


Essential itoms exported


मार्च 2021 के ही आंकड़े हैं कि भारत ने 6 करोड़ कोरोना वैक्सीन विदेशों को एक्सपोर्ट कर डाला था जबकि उस समय अपने देश में उतनी वैक्सीन दिए भी नहीं जा सके थे। इसी प्रकार पिछले वित्त वर्ष  4502 मिट्रिक टन की तुलना में लिक्विड आक्सीजन पिछले 9 महीनों में ही 9294 मिट्रिक टन बेच दिए। यद्यपि आक्सीजन की कमी का एक कारण उचित सप्लाई की व्यवस्था का न होना भी है। एक साल काफी होते हैं इस व्यवस्था को बनाने के लिए पर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया।इसी प्रकार कोरोना ट्रीटमेंट में आवश्यक इंजेक्शन remdesivir की भी देश में कमी हो गई है जबकि पिछले 6 महीनों में ही इसके 11 लाख डोज विदेशों को बेचे गए है।


Always in election mode


प्रधानमंत्री  श्री मोदी ने अपनी मन की बात कार्यक्रम में छात्रों को दिव्य ज्ञान(?)दिया था कि हमेशा कठिन सवाल को पहले हल करना चाहिए। हर छात्र के लिए कठिन सवाल अलग-अलग हो सकते हैं। इस सरकार के लिए  चुनाव जीतना ही सदैव कठिन सवाल रहे हैं और इस देश में चुनाव हमेशा होते रहते हैं इसलिए यह हमेशा उसे ही हल करने में लगी रहती है।  यही कारण है कि 12 साल में लगने वाला कुंभ मेला इस बार 11 साल में ही लग गया। 


Who is Responsible for corona explosion?


कोरोना के इस कहर का जिम्मेवार कोरोना के खतरनाक double mutants और triple mutants  के अलावा  जनता की लापरवाही को बताया जा रहा है जिसने social distancing और mask लगाने की कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना छोड़ दिया था। परन्तु जनता नेता का अनुसरण करती है और नेता का मतलब ही होता है जिनका लोग अनुसरण करते हैं। क्या जरूरत थी  इस वक्त देश के कई राज्यों में चुनाव कराने की इसे आसानी से टाला जा सकता था और संविधान में इसकी व्यवस्था भी है। 


जरूरत तो बड़ी-बड़ी चुनावी रैली और रोड शो की भी नहीं थी जिसमें  social distancing की धज्जियां उड़ जाती हैं। work from home हो सकता है तो Election speech from home क्यों नहीं? अजीब नहीं लगता कि देश में आक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ने वाले तथाकथित दो बड़े योद्धा प्रधानमंत्री श्री मोदी और गृहमंत्री श्री अमित शाह बंगाल चुनाव में बीजेपी की हवा बनाने में लगे हुए हैं। 


जहां तक मास्क लगाने की बात है तो यह कितना जरूरी है वह गृहमंत्री श्री अमित शाह से पूछना चाहिए जो चुनावी रोड शो हो या किसी अस्पताल का निरीक्षण मास्क नहीं लगाना है, ये नहीं भूलते । जनता लापरवाह इसलिए हुई क्योंकि सरकार और नेता बेपरवाह हुए।


Rectifying mistakes 


भारत सरकार ने 50000 मिट्रिक टन लिक्विड आक्सीजन आयात करने का Global tender निकाला है। साथ ही विदेशी वैक्सीन के आयात करने के लिए एक Fast track बनाया है और इसी क्रम में सबसे पहले रूसी वैक्सीन Sputnik V भारत आ रही है। ऐसी स्थिति में देहात में प्रचलित यह कहावत याद आती है "भोज काल में कुम्हर रोपना" जो हिन्दी की प्रचलित मुहावरा "का बरखा जब कृषि सुखाने" के करीब है।


remdesivir इंजेक्शन के निर्यात पर रोक लगा दिया गया है। पर ऐसी रोक कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर नहीं लगाई गई है पर इस संबंध में तय डिलीवरी शेड्यूल में देर करने की बात अवश्य हुई है।


भारत में कोरोना वैक्सीन उत्पादन की क्षमता विश्व में सबसे अधिक भले ही हों पर भारत की जनसंख्या की आवश्यकता देखते हुए कम  पड़ रही है। दूसरी मुश्किल ये है कि भारत कोरोना वैक्सीन हेतु कच्चे माल के लिए विदेश विशेष कर अमेरिका पर आश्रित है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने साफ कह दिया है कि वो पहले अपने देश की आवश्यकता पूरी करेंगे। स्पष्ट है अपने देशवासियों को छोड़ विदेशियों की चिंता करने की बेवकूफी भरी काबिलियत उनकी सरकार में नहीं है। 


इसी काबिलियत के बल पर भारत कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्यातक के साथ-साथ सबसे बड़ा आयातक भी बनने वाला है। गजब अर्थशास्त्र है कम में बेचो और ज्यादा में खरीदो। सच है  सिर्फ चश्मा  लगाने से कोई विद्यार्थी तेज नहीं होता और न ही कोई दाढ़ी बढ़ाने से ज्ञानी। संकट कोरोना का ही नहीं सरकार की काबिलियत का भी है।


सरकार अपना भूल सुधार रही है पर जनता? कुंभ मेला तो है नहीं जो समय पूर्व हो जाय, 2024 तक तो इंतजार करना ही होगा। जब तक जनता हिन्दु-मुस्लिम, कोरे वादे, छद्म राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों से पप्पू बनती रहेगी पप्पू की सरकार भी रहेगी।