Indian economy- vocal for local
भारत के प्रधानमंत्री ने कोरोना संकट और तालाबंदी में फंसे देश के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया साथ ही यह भी कहा कि भारत अब आत्मनिर्भर बनेगा और इसके लिये आदत के अनुसार एक और मंत्र "vocal for local" अर्थात स्वदेशी का प्रोत्साहन के जाप का आह्वान भी कर दिया।


Indian economy- vocal for local!

उनकी बातों से ऐसा लगा गोया भारत अभी तक आत्मनिर्भर बनना ही नहीं चाहता था।जबकि सच्चाई ये है कि भारत सहित दुनिया का हर देश शुरूआत से ही आत्मनिर्भर बनना चाहता है और यह भी एक सच्चाई है कि दुनिया का कोई देश यहां तक की अमेरिका भी सच्चे अर्थ में आत्मनिर्भर नहीं है। एक-दूसरे की मदद लेना और करना आत्मनिर्भरता के खिलाफ तबतक नहीं है जबतक कि आप ऐसा करने में स्वतंत्र निर्णय लेने की अपनी क्षमता खोते नहीं हैं। इस मामले में भारत स्वतंत्रता मिलने के बाद से ही सजग रहा है शीतयुद्ध के समय गुटनिरपेक्षता की नीति इसी कारण अपनायी गई थी।



दरअसल कोरोना वायरस के भारत में प्रवेश के कुछ ही दिनों बाद भयंकर विपदा के बीच भारत सरकार को अचानक आत्मबोध हुआ कि अब भारत आर्थिक महाशक्ति बन सकता है । खुद प्रधानमंत्री ने द्वितीय तालाबंदी की घोषणा करते समय कहा कि कोरोना संकट भारत के लिए एक अवसर लेकर आया है। यह सही है कई बार संकट हमें अवसर भी देता है और मजबूत भी बनाता है पर यदि कोई संकट हमें महाशक्ति बना सकता है तो ऐसे संकट का स्वागत होना चाहिए। ऐसा शायद हुआ भी पर सभी समझ न पाये। थाली बजाना और दिया जलाना तो स्वास्थ्यकर्मियों के लिए था पर ढोल-नगाड़े का बजना और पटाखे चलना कोरोना के स्वागत के लिए ही तो थे?
Indian economy- vocal for local!



भारत के महाशक्ति बऩने के इस उत्साह के पीछे ये सोच थी कि चीन से खफा विदेशी कम्पनियां विशेषतया अमेरिकी, वहां से अपना कारोबार समेट कर भारत शिफ्ट हो सकती हैं । इस सोच को बनाने में कुछ अन्तर्राष्ट्रीय खबर और सोशल मीडिया दोनों का योगदान रहा था। यही कारण था कि कई राज्य सरकारों द्वारा इन कंपनियों को आकर्षित करने के लिये लेबर लाॅ  सहित कई नियम व कानूनों में ताबड़तोड़  बदलाव किये गये। फिर भी बात नहीं बनी । कंपनियां भारत की ओर आकृष्ट नहीं हो पा रही हैं। वास्तव में कोरोना संकट ने हर देश को आत्मकेंद्रित और भयभीत कर दिया है ज्यादातर  देश अपनी कंपनियों को अपने देश में ही शिफ्ट कराना चाहती हैं और इसके लिये प्रोत्साहित भी कर रही हैं।



अमेरिकी राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक लैरी कुडलो ने 15 मई 2020 स्पष्ट कहा अमेरिका में शिफ्ट होने वाली कंपनियों को शिफ्टिंग के शतप्रतिशत खर्च के अलावा कारपोरेट टैक्स में भी 50% की छूट दी जा सकती है। इसी प्रकार जापान ने भी अपनी कंपनियों को अपने देश में शिफ्ट होने के लिये 243 बिलियन येन की बड़ी सहायता राशि घोषित कर रखी है। इसके अलावा हाल के वर्षों में भारत की विभिन्न पैमाने पर घटती अन्तराष्ट्रीय रेटिंग के कारण भी विदेशी कंपनियों को  शिफ्टिंग के लिये भारत की बजाय वियतनाम, थाईलैंड, और इंडोनेशिया मुफीद  लगे हैं । USCIRF 2020 की वो रिपोर्ट जिसमें भारत को मुस्लिम विरोधी नीति को लेकर "विशेष चिन्ता वाले देशों" की टायर 1 श्रेणी में रखा गया है जिसे भारत भले ना मानता हो पर अमेरिकी तो मानते हैं।
Indian economy- vocal for local!


इन सब कारणों से उपजी निराशा को दूर करने के लिए ही "आत्मनिर्भर भारत" और "vocal for local" करने की आवश्यकता आ पड़ी है। यह गलत भी नहीं है और दूसरे विकल्प भी नहीं हैं। पर जैसा कि स्वामी रामदेव की उक्ति है "सिर्फ कहने से नहीं करने से होता है!"  यह भूलना नहीं चाहिए कि "मेक इन इंडिया "आत्मनिर्भर भारत की ही नीति थी फिर भी राफेल डील बदला गया। इस तरह की गलती अब नहीं होनी चाहिए। लोकल के लिये  भोकल होना  अच्छी बात है पर जो लोकल नहीं है उसके खिलाफ यदि अधिक भोकल हुए तो भारत पर सरंक्षणवादी( protectionist) का आरोप लगते देर नहीं लगेगी और ऐसा हुआ तो उदारवाद और पारस्परिक निर्भरता के इस युग में भारत का महाशक्ति बनना और कठिन हो जायेगा!