Arun Jaitley goodbye!

24 अगस्त 2019 को श्री अरुण जेटली के निधन की खबर ने पूरे देश को शोकाकुल कर दिया। जेटलीजी काफी खुले विचार और मिलनसार व्यक्ति थे जिसके कारण वो न केवल अपनी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में लोकप्रिय थे बल्कि विरोधी पार्टीयां भी उनका सम्मान करती थीं। स्वर्गीय अरुण जेटली अच्छा दिखते थे, अच्छा बोलते थे और अच्छा लिखते थे। उनके ब्लाग ज्ञानवर्धक और टवीट काफी धारदार और सटीक हुआ करती थीं उनके इस आकस्मिक निधन से निस्संदेह देश के राजनैतिक संवाद  की भी क्षति हुई है।

Arun Jaitley goodbye!

क्रिकेट और अच्छा खाने के शौकिन जेटलीजी खूब पढ़ते भी थे यही कारण था कि देश के श्रेष्ठतम वकीलों में शुमार होने  के अलावा समाज के अन्य विषयों पर भी उनकी अच्छी पकड़ थी। जिस विषय पर भी बोलते ऐसा लगता मानों उस विषय पर उनसे ज्यादा कोई नहीं जानता।इसी प्रतिभा ने  जेटलीजी को एक महान सांसद बनाया। सांसद के तौर उनके भाषण शानदार हुआ करते थे संसद प्राय: उन्हें शान्ति और गंभीरता से सुनती थी।


अपने तर्क-वितर्क से राजनैतिक विरोधियों को लाजवाब करने के बाद विजयी भाव में हल्की मुस्कान के साथ बात समाप्त करने की उनकी अदा देखने लायक होती थी। वाद-विवाद का कोई भी मंच हो अरूण जेटलीजी की उपस्थिति मात्र से उसका स्तर ऊंचा हो जाता था। जिन्होंने ने भी टीवी पर जेटलीजी और श्री कपिल सिब्बल के बीच की बहसें देखी होंगी  वो उसे भूल नहीं सकते।


     भारतीय जनता पार्टी को वैचारिक संबल प्रदान करने वाले अरूण जेटली एक कुशल प्रशासक भी थे। छात्र जीवन में देहली यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेन्ट रुप में नाम कमाने वाले जेटली जी स्वर्गीय वाजपेयी के मंत्रिमंडल में भी शामिल रहे कानून और न्याय तथा सूचना और प्रसारण  मंत्रालय संभाला।डीडीसीए के प्रेसीडेन्ट के तौर पर भी उनकी उपलब्धि शानदार रही फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के जीर्णोद्धार का श्रेय उन्हें ही जाता है। 2009 से 2014 के बीच राज्य सभा में  विपक्ष के नेता के रूप में  जेटलीजी ने सरकार पर निरन्तर प्रहार कर अपनी पार्टी का मनोबल बनाये रखा जिससे 2014 में जीत का मार्ग प्रशस्त हुआ।

Arun Jaitley goodbye!


2014 में श्री नरेन्द्र मोदी की प्रथम सरकार में अरुण जेटली जी का प्रभाव काफी बढ़ गया। सीनियर्स के मार्गदर्शक मंडल में जाने के बाद ये अचानक से सरकार के संकटमोचक के रोल में आ गए। इस सरकार में मुख्य रुप से वित्त और कारपोरेट अफेयर मंत्री थे लेकिन सरकार के अन्य विभाग जैसे रक्षा, सूचना और प्रसारण, वाणिज्य मंत्रालय का भार भी जब-जब जैसी जरुरत पड़ी इन्हें संभालने को दी जाती रहीं। इसके अलावा राज्यसभा में सदन के नेता की भूमिका भी इन्ही के जिम्मे थी। प्रतिभा ऐसी की ताश के पत्ते के पोपलु की तरह हर जगह फिट हो जाते थे।
Arun Jaitley goodbye!

वित्त मंत्री के रूप में अरुण जेटली का कार्य काल जीएसटी, आइबीसी और रेल बजट का आम बजट में विलय आदि के लिए उल्लेखनीय होने के बावजूद असफल रहा। अर्थव्यवस्था के प्रायः हर पैमाने पर भारत पिछड़ता गया। वैसे इसका प्रमुख कारण उन्हीं के कार्यकाल में " 2016 में नोटबंदी" का लिया गया फैसला था जिसने भारत की अर्थव्यवस्था को चरमरा कर रख दिया ।पर इसका दोष  जेटली जी को नहीं दिया जा सकता क्योंकि नोटबंदी का यह दर्दनाक आईडिया न तो उनका था और न ही उन्होंने इसे लागू किया था।



 यह किसी अन्य महान दिमाग की उपज थी। अरुण जेटली जी तो एक वफादार सिपाही की तरह अपने तर्कों से इस निर्णय का बचाव करते रहे पर इसके दुष्परिणाम से भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने में असफल रहे।इसी प्रकार जीएसटी ने भले ही टैक्स पेशी देश के रूप में भारत की रैंकिंग 172 से घटा कर 121 पायदान पर ला दिया हो, पर मध्यम और लघु उद्योगों को शुरुआत में जो झटके दिए वो बाद में सुधार के बावजूद नहीं उबर सके।

                
 इस असफलता के बावजूद अरुण जेटली की अन्यान्य खूबियाँ भारतीय जनमानस में अक्षुण्ण रहेंगी। अलविदा! अरुण जेटली जी ।