Article 370 abrogation! धारा 370 का अभिनिषेध!



धारा 370 को निष्प्रभावी करने की वैधानिकता का फैसला तो सुप्रीम कोर्ट करेगा पर क्या ऐसा करना ये राष्ट्र हित  में है अथवा क्या इससे जम्मू और कश्मीर के लोगों का भला होने वाला है  आदि सवाल हर किसी के मन में है। गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार इस ऐतिहासिक फैसले से जम्मू और कश्मीर के लोगों का भला होगा क्यों कि अब भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहाँ भी लागू हो सकेंगे, आरक्षण का लाभ वहां के पिछड़े को मिल सकेगा, महिलाओं को अधिकार मिलेगा,अन्य राज्यों के लोग वहां की जमीन खरीद पाएंगे जिससे वहां फैक्ट्रीयां लगेंगी,रोजगार मिलेगा और विकास होगा और आतंकवाद समाप्त हो जायेगा। सुनने में ये भले अच्छे लग रहें हैं, परन्तु वास्तव में ऐसा है या होगा क्या?

Article 370 abrogation!


       पहले तो यह बात ही गलत है कि धारा 370 के कारण भारतीय संविधान के प्रावधानों को जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं किया जा सका है, वास्तविकता ये है कि वहां भारतीय संविधान की समवर्ती सूची के 97 में से 94 विषय और 395 धाराओं में से 262 लागू हो चुके थे और यह सब धारा 370 के तहत राष्ट्रपति के आदेश और राज्य सरकार की सहमति से हुआ था। शेष 133 धाराओं को जम्मू और कश्मीर के संविधान ने पहले ही अपना लिया था।



इसी प्रकार आरक्षण भी जम्मू और कश्मीर में पहले से लागू था और वहां के 2004 का आरक्षण कानून भारतीय कानून से अधिक प्रगतिशील था जो जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देता था।जहां तक आरटीआई कानून की बात है वह भी वहां 2009 से मौजूद थी वह भी भारतीय कानून की तुलना में अधिक मजबूती से , क्यों कि सूचना के प्रमुख अधिकारी का ओहदा हाईकोर्ट के जज के बराबर माना गया था। इसी प्रकार जम्मू और कश्मीर का शिक्षा का अधिकार कानून भी भारतीय कानून की तुलना में अधिक व्यापक थी क्योंकि वह विश्वविद्यालय शिक्षा तक का अधिकार देती थी जबकि भारतीय कानून सिर्फ 6 से 14 वर्ष तक।

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एक और गलत  धारणा जम्मू और कश्मीर राज्य के महिलाओं के बारे में प्रचारित की गई यदि वे अपने राज्य के बाहर के पुरुष से शादी करती हैं तो जम्मू और कश्मीर में उनके अधिकार समाप्त हो जाते हैं जबकि ऐसा बिल्कुलभी नहीं था, जैसाकि 2016 के सुशीला मामले में वहां की हाईकोर्ट ने कहा महिला के अधिकार बने रहते है केवल उसके पति को कोई अधिकार जम्मू और कश्मीर के बाबत नहीं बनता। इसी प्रकार तीन तलाक के निषेध कानून का जम्मू और कश्मीर की महिलाओं पर कोई खास प्रभाव परने वाला नहीं है वहां ये मामले अधिकतर शरीयत से नहीं पारम्परिक कानून से निर्देशित होती हैं।



             गृहमंत्री का यह दावा भी सही नहीं है धारा 370 के कारण जम्मू और कश्मीर का विकास नहीं हुआ है सिर्फ भष्ट्राचार हुआ है और दो खानदानों ने लूटा है। जबकि मानव विकास सूची 2017 में जम्मू और कश्मीर का स्थान 36 राज्यों में 17 वां था, कर्नाटक 18 वें और गुजरात 21वें से भी ऊपर जिसे बुरा नहीं कह सकते। वास्तविकता तो ये है कि औसत जीवन आयु, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व व्यवस्था आदि मामलों में इस राज्य की स्थिति बहुत ही अच्छी रही  है। जहां तक भ्रष्टाचार की बात है वो राष्ट्रीय समस्या है और जम्मू और कश्मीर में भी रही है लेकिन भ्रष्टाचार के जैसे मामले और भ्रष्टाचारी सूरमा देश के अन्य राज्यों में प्रकट हुए वैसे जम्मू और कश्मीर में नहीं हुए।
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इसी प्रकार गृहमंत्री का यह कहना भी सही नहीं लगता कि 370 हटने से जम्मू और कश्मीर में अन्य राज्यों के लोग भी जमीन खरीद सकेगें जिससे फैक्टरीयां लगेगी और रोजगार का सृजन होगा फलतः आतंकवाद भी खत्म हो जायेगा। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित देश के आठ राज्यों में बाहरी राज्यों के लोगों का जमीन खरीदने पर पाबन्दी है फिर भी वहां फैक्टरीयां लग रही है।दूसरे जम्मू और कश्मीर के पिछली कई सरकारों द्बारा उद्योगपतियों को 99 सालों की लीज पर जमीन देने का आफर दिया गया फिर भी फैक्टरीयां नहीं आई। वास्तव में जम्मू और कश्मीर में बड़े-बड़े उद्योगों के नहीं लगने का प्रमुख कारण आतंकवाद रहा है न कि धारा 370। रही रोजगार सृजन की बात तो उस पर विश्वास करना मुश्किल है कि जिस सरकार ने 45 सालों का रिकॉर्ड तोड़ कर पूरे देश में रोजगार का बंटाधार कर दिया है वो जम्मू और कश्मीर में बेरोजगारों का उद्धार कर देगी।


 गृहमंत्री श्री अमित शाह का यह कहना कि जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद धारा 370 की वजह से था और यह जवाहरलाल नेहरू की ऐतिहासिक भूल थी, भी सत्य से दूर ही नहीं बल्कि उलट है। पहले तो भारत के 18 राज्यों में नक्सलियों के रूप में आतंकवाद है और वहां धारा 370 भी नहीं अत: धारा 370 आतंकवाद का कारण नहीं है। दूसरे धारा 370 अकेले नेहरू के दिमाग की उपज नहीं थी बल्कि इसमें सरदार पटेल जैसे देश के सबसे बडे़ गृहमंत्री और कई अन्य देशभक्त व काबिल लोग शामिल थे। यह धारा जम्मू और कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य के विलय के लिए सबसे उपयुक्त थी। इसके द्बारा एक तरफ विशेष राज्य के दर्जा देकर जम्मू और कश्मीर की भावना को सम्मान दिया गया और दूसरी तरफ ऐसे रास्ते खोले रखे गए जिनसे पूरा का पूरा भारतीय संविधान धीरे-धीरे जम्मू और कश्मीर में भी लागू हो गया।



आतंकवाद का प्रमुख कारण पाकिस्तान की नीतियां और अफगानिस्तान के घटनाक्रम रहे हैं इसके लिए धारा 370 को दोष देना गलत है।जबकि इसके उलट आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी धारा 370 भारत के लिए उपयोगी रही है। यथा जहां एक ओर कश्मीर के बड़े घडे़ को भारत के लिए विशिष्ट हैं का एहसास दिला कर आतंकवाद की ओर जाने से रोके रखा वहीं दूसरी तरफ केन्द्र सरकार को लगातार 7 वषोॅं तक आपातकाल लगाने जैसे अधिकार देकर मजबूती भी प्रदान की थी।



 वास्तव में धारा 370 एक मनोवैज्ञानिक डोरी थी जिसके सहारे जम्मू और कश्मीर के  स्थानीय पर भारतीय नेताओं ने वहां की जनता को भारत से जोड़ रखा था। अब इसे निष्प्रभावी कर उस डोरी को काट दिया गया है। अब आतंकवाद बढेगा कि घटेगा? यह भी कहा जाता है जिस जिस जगह पर सरकार की ज्यादितियां बढ़ती हैं वहां आतंकवाद और पनपता है, तो फिर नेताओं को गिरफ्तार कर लेना जनता को घर में बन्द कर देना, तमाम संचार माध्यमों को ठप्प कर देना आदि तरीके से आतंकवाद और पनपेगा कि घटेगा यह भी विचार किया जाना चाहिये ।


     स्पष्ट है धारा 370 में बदलाव से न तो जम्मू और कश्मीर के लोगों का भला होने  वाला है न ही देश का। इसके अलावा धारा 370 के कारण केन्द्र की जो पकड़ जम्मू और कश्मीर राज्य पर थी वो भी ढीली पर जाने वाली है।तो प्रश्न उठता है कि उन्होंने ऐसा किया क्यों? जवाब स्पष्ट है यह उनके पार्टी के घोषणा पत्र में था इसलिए किया। ये भी कहा इसकी तैयारी एनडीए के पिछले शासन काल में ही शुरू हो गई थी।
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अब समझ में आ रही है क्या थी तैयारी। सरकार में शामिल होकर सरकार को फेल करना, ठीकरा वहां के स्थानीय नेताओं पर फोड़ना,वाजपेयी और मनमोहन सिंह के समय से पटरी पर आ रहे कश्मीर की हालात को बेपटरी करना , गोदी मीडिया द्बारा भारतीय जनमानस  को धारा 370 के विरोध के लिए तैयार करना और लोकसभा का चुनाव करवाना  पर विधान सभा का चुनाव न कराना यही थी तैयारी। ऊफ्फ! पार्टी के ऐजेंडे को लागू करने के लिए क्या-क्या न करने पड़ते हैं।यह भी सही है पार्टी का हित भी देखा जाना चाहिए राष्ट्र का हित तो  होते रहता है। सरदार पटेल और अमित शाह में कुछ तो अन्तर होना चाहिए।

Parimal

Most non -offendable sarcastic human alive! Post Graduate in Political Science. Stay tuned for Unbiased Articles on Indian Politics.

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