Lockdown for how long?

भारत में तालाबंदी 2.0 अब आखिरी चरण में पहुँच चुका है पर कोरोना वायरस का संक्रमण  रुकता हुआ नजर नहीं आ रहा है पर तालाबंदी की वजह से इसकी रफ्तार धीमी अवश्य रही है। अभी तक इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 31637 पहुंच चुकी है और 1012 हताहत हो गए हैं। 
Lockdown ends when!

तालाबंदी  से यह स्पष्ट हुआ कि यह तरीका कोरोना संक्रमण को धीमा ही कर सकता है पर इसे खत्म नहीं कर सकता। इस वायरस का खात्मा अधिक से अधिक मात्रा में संक्रमितों की पहचान कर उनका इलाज करके ही किया जा सकता है। वस्तुत: तालाबंदी 1.0 और बाद में 2.0 दोनों का उद्देश्य भी यही था कि संक्रमण की रफ़्तार धीमी कर बीमारी से लड़ने की वास्तविक तैयारी की जा सके। यह तैयारी स्वास्थ संबंधी आवश्यक उपकरणों  को हासिल करना एवं स्वास्थ सुविधा का विस्तार करना था।


दुर्भाग्य से भारत सरकार यह तैयारी अभी तक समुचित रूप से नहीं कर सकी है। वायरस की  जांच अभी तक उस रफ़्तार से नहीं हो पा रही हैं जो अपेक्षित थी। चीन से तिगुने (?) दाम पर खरीदे गये 7 लाख रैपिड टेस्टिंग किट भी घटिया निकल गये हैं अब इसे वापस करने की बात हो रही है। पैसे भी ठग लिये माल भी घटिया।यह कैसे हो गया, गुणवत्ता जांच कर सामान लेने की बात सरकार द्वारा कही गई थी। खैर जो भी हो एक लाख प्रतिदिन की बजाय अभी भी लगभग 30 हजार प्रतिदिन ही टेस्ट हो पा रहे हैं। 
Lockdown ends when!



तालाबंदी एक शार्ट टर्म प्रक्रिया ही हो सकती है और इसे और लम्बा खींचना अर्थ व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था जो कोरोना वायरस के आक्रमण के पहले से ही बदहाली झेल रही थी यथा जीडीपी 4.4% गिर चुकी थी और बेकारी 45 सालों में सबसे बदतर पर पहुंच चुकी थी। ऐसे में समझा जा सकता है 40 दिनों की तालाबंदी  से इसका क्या हाल हुआ होगा।


आईएमएफ का अनुमान है कि भारत की 2021-2022  जीडीपी मात्र 1.9% रहने वाली है, बेरोजगारी दर जो 15 मार्च 2020 को पहले ही रिकॉर्ड तोड़ 6.7% थी वो तालाबंदी के कारण 19 अप्रैल तक 26% हो गई है और इस अवधि में 14 करोड़ लोगों की नौकरी जा चुकी है।इसका यह भी कहना है तालाबंदी 1.0 के दरमियान भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन 32000 करोड़ रुपये का नुक्सान उठाना पड़ा है। यही वजह रही कि सरकार ने  तालाबंदी 2.0 में संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने के कुछ प्रयास शुरू किये , पर ये काफी नहीं हैंं! 



 27 अप्रैल के प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंस में शामिल हुए 9 राज्यों में से 5 मुख्यमंत्रियों ने तालाबंदी खत्म करने की मांग की है। इस बैठक में देश के विभिन्न जगहों में फंसे प्रवासी मजदूरों की वापसी के प्रश्न भी उठे और इसके लिये एक राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग भी की गई। राज्यों द्वारा आर्थिक पैकेज पर भी जोर दिया गया। इन सभी प्रश्नों को प्रधानमंत्री ने  3 मई के लिये टाल दिया है जब तक तालाबंदी 2.0 खत्म नहीं होती। वास्तव में तालाबंदी की स्थिति से अब निकलना ही होगा अन्यथा गरीबी, बेकारी, भुखमरी और अपराध जैसी समस्यायें बेकाबू हो जायेगीं। 
Lockdown ends when!


इतने दिनों की तालाबंदी से  वायरस के हाॅट स्पाट की पहचान स्पष्ट हो -सी गई हैं और सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र और राज्य कौन से हैं यह भी पता चल ही गया है। यह भी जान चुके हैं भारत की 80% आबादी को इस वायरस से जानलेवा खतरा नहीं है। सिर्फ बूढ़े या फिर पहले से खतरनाक रोगों से ग्रस्त लोगों की जान कोरोना वायरस से जा रही है। "प्लाजमाथेरेपी" काम कर रहा है बढ़-चढ  के तबलगी जमात सहित कोरोना से ठीक हो गये लोग प्लाज्मा दान कर रहे हैं। ऐसे में तालाबंदी को अचानक नहीं तो चरणबद्ध तरीके से तो हटाया ही जा सकता।


 संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में आर्थिक क्रियाकलापों को सावधानियों के साथ आरंभ कर देना चाहिए और फंसे प्रवासी मजदूर जो घर जाना चाहते हैं उनके  जाने की संक्रमण रहित व्यवस्था प्राथमिकता के साथ करनी चाहिए। मजदूर शहर में रहें या गांव में काम मिलेगा तो करेंगे ही और अर्थव्यवस्था को लाभ दोनों से मिलता है। भारत में इनकी संख्या इतनी है कि दोनों जगह संभाल लेंगे। यही कारण है कि अधिकतर लोग विशेषकर अर्थशास्त्री सोचते हैं कि बहुत हुआ कोरोना- कोरोना अब काम शुरू करो ना!