कोरोना वायरस की दूसरी लहर अभी खत्म भी नहीं हुई है  कि देश तीसरी लहर आने की आशंका से चिंतित हैं। तकरीबन 40000 संक्रमण के नये मामले रोज़ाना आ रहे हैं। गनीमत है कि इनमें से आधे मामले सिर्फ एक राज्य केरल से आ रहे हैं। आश्चर्य है कि केरल वो राज्य है जहां देश में सबसे अधिक लोगों 19.5% को डबल डोज और लगभग 50% का सिंगल डोज वैक्सीनेशन हो चुका है।


इसी आशंका के बीच देश ने उस समय राहत की सांस ली जब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को यह अहसास हुआ कि देश के सब लोगों के लिए आवश्यक वैक्सीन उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी  राज्य सरकारों की  नहीं बल्कि  उनकी ही सरकार की है, वो भी मुफ्त में। उन्होंने इसकी घोषणा भी की।


Third wave predictions

जहां तक तीसरी लहर  की बात है तो वो वैज्ञानिकों  के अनुसार अवश्यसंभावी है सिर्फ उसके आने के समय और भयावहता को लेकर असंमजस की स्थिति है। गणितीय मॉडल दो लहरों के बीच 100 से 120 दिनों के अंतराल की भविष्यवाणी करता है। कुछ देशों में ऐसा अंतराल रहा भी है। भारत में दूसरी लहर की समाप्ति (कमजोर पड़ने को ही माना जाय)  जुलाई में ली जाय तो तीसरी लहर की संभावना अक्टूबर -नवम्बर में बनती है। 


Reuters survey

अमेरिकी Reuters ने अपने वायरस विधा के जानकारों की राय लेकर अपने सर्वे में इसी समय का अनुमान बतलाया है। इस सर्वे में यह भी कहा गया है तीसरी लहर पहली से अधिक पर दूसरी लहर से कम व्यापक होगी अधिकतम संक्रमण 2 लाख प्रतिदिन हो सकता है।


SBI   research report

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपना एक रिसर्च रिपोर्ट जारी किया है जिसके अनुसार कोरोना की तीसरी लहर अगस्त 2021के अंतिम सप्ताह में आयेगी जो सितंबर में अपने शिखर पर पहुंच जायेगी। यह दूसरी लहर जितनी ही ख़तरनाक होगी पर मौतें दूसरी लहर की तुलना में कम होंगी।


IIT,Kanpur SIR model 

इसी प्रकार IIT कानपुर की एक रिसर्च टीम ने तीसरी लहर की तीन संभावनायें बतलाई है। susceptible-infected-recovered (SIR)माॅडल का उपयोग करते हुये उनका कहना है कि सबसे खराब स्थिति तब होगी जब कोरोना के नये वेरियंट्स पैदा हो जायें तब  सितम्बर में संक्रमण 5 लाख प्रतिदिन तक पहुंच सकता है।अन्य दो  परिस्थितियों में प्रोफेसर राजेश रंजन और महेन्द्र वर्मा की इस टीम का अनुमान है कि कोरोना का पीक अक्टूबर में आयेगा और संक्रमण दूसरी लहर से कम पर पहली लहर से अधिक होगा। संक्रमण 2 या 3 लाख प्रतिदिन जा सकता है।


IIT, Kanpur SUTRA Model

IIT कानपुर ही की दूसरी रिसर्च टीम ने Susceptible, Undetected, Tested (positive), and Removed Approach’ (Sutra) माॅडल का उपयोग कर  तीन संभावनायें बतलाई हैं-

1 कोरोना का कोई नया वेरिएंट नहीं आये तो अगस्त तक लहर क्षीण हो जायेगी और जनजीवन  सामान्य हो जायेगा।

2 यदि कोरोना  का 25% नया और अधिक संक्रामक वेरियंट्स (डेल्टा प्लस के अलावा क्योंकि यह उतनी खतरनाक नहीं है) अगस्त में आ गया तो तीसरी लहर अक्टूबर-नवम्बर आयेगी जो दूसरी लहर की अपेक्षा  कमजोर होगी ।

3 यदि कोरोना का कोई ऐसा वेरिएंट आ गया जो मनुष्यों में पैदा हुई  प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को भेद दे तो उपर की सारी भविष्यवाणियां फेल हो जायेगी जिसके परिणाम भयंकर होंगे इसका भी पिक अक्टूबर-नवम्बर में होगा।


WHO survey

कोरोना की तीसरी लहर की कई सर्वे के बीच  WHO  और  भारत के AIIMS  का भी एक संयुक्त सर्वे आया है जिसके अनुसार तीसरी लहर में बच्चों पर अधिक खतरे की बात गलत है। यह एक राहत की खबर है।


Vaccination status

तीसरी लहर कि इस आशंका में जो भी सच्चाई हो केन्द्र सरकार वो भयानक गलती फिर दुहराना नहीं चाहती जो उसने पहली लहर के बाद कोरोना पर जीत का दावा करके किया था जिससे दूसरी लहर में लाखों लोगों की जान गई। इस लहर से जान बचाने का सबसे कारगर तरीका डबलडोज वैक्सीनेशन है ,सिंगल डोज नहीं।


देश में अभी तक 45 करोड़ लोगों को वैक्सीन दिया गया है जिसमें डबल डोज 9.82 करोड़ लगभग 7.2% लोगों को ही लगे हैं।सुरक्षित होने के लिए 65 से 70% लोगों को डबल डोज लगाने की जरूरत वैज्ञानिक बता रहे हैं।  केरल के उदाहरण से स्पष्ट है 50% का सिंगल डोज 19% का डबल डोज  काफी नहीं होता।


Vaccination Shortage

वैक्सीनेशन रफ्तार नहीं पकड़ रही है  क्योंकि वैक्सीन की कमी है। यही कारण है कि देश भर में चलने वाली कई वैक्सीनेशन सेंटर कभी खुलते हैं तो कभी बंद हो जाते हैं। इन सेंटरों पर लोगों की लंबी कतारे कोरोना प्रोटोकॉल की ऐसी की तैसी  कर रही हैं। नेट पर स्लाॅट बुक करना रेलवे की तत्काल बुकिंग की याद दिलाता है। 


कोविशिल्ड और कोवैक्सीन  भारत में दी जाने वाली प्रमुख वैक्सीन की उपलब्धता की सही जानकारी और समय सीमा सरकार नहीं दे पा रही है। इस संबंध में संसद में एक ही दिन में सरकार की ओर तीन अलग-अलग आंकड़े बतलाये जा रहे हैं। 


माडर्ना और फाईजर जैसे विदेशी वैक्सीन को आने में भी देर है इस संबंध में अभी तक कोई करार ही नहीं हुआ है। रूसी वैक्सीन Sputnik  जिसकी जुलाई में एक करोड़ डोज मिलने थे वो 32 लाख ही मिले हैं। आर्डर देने में  केन्द्र सरकार द्वारा की गई लापरवाही वैक्सीनेशन में देर होने का सबब बन चुकी है।


ऐसे में प्रधानमंत्री श्री मोदी का यह कहना कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है उतना ही सच है जितना सरकार का संसद में  यह कहना कि कोरोना की दूसरी लहर में देश में आक्सीजन की कमी से कोई नहीं मरा। जिस नंगे सच्च को पूरी दुनिया ने देखा उसे झुठलाने की मोदी सरकार की ये कोशिश अद्भुत है।इस कोशिश पर नरक में विश्राम कर रहे हिटलर के प्रोपेगंडा मंत्री जोसफ गोबुल्स( जिनका मानना था कि झूठ इतनी बार बोलो कि वही सच्च बन जाये)भी यमराज  से लड़ बैठे होंगे यदि ये सच है तो मैं सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र हूं।


 

दिसंबर 2021 तक भारत के 108 करोड़ लोगों को वैक्सीनेशन का दावा करने वाले मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर का मंत्रिपद और उनके दावे दोनों हवा हो चुके हैं। इस संबंध में Agathe Demarais जो The Economic intelligence unit के निदेशक हैं उन्होंने अपने अध्ययन में बतलाया है कि भारत में पर्याप्त संख्या में वैक्सीनेशन 2022 के अतं से पहले नहीं हो पायेगी। वहीं अपनी कोरोना रिपोर्टिंग के कारण केन्द्र सरकार की कोपभाजन बनी और  छापा पीड़ित अखबार दैनिक भास्कर ने अपने बिहार संस्करण में यह खबर छापा है कि सिर्फ बिहार और यूपी में ही  वयस्कों को दोनों डोज देने में तीन साल लग जाएंगे।


ICMR 4th SERO Survey Report.

स्पष्ट है कि सरकार की इस धीमी वैक्सीनेशन की रफ्तार से कोरोना की तीसरी लहर को रोका नहीं जा सकता। ऐसे में आशा की नई किरण ICMR द्वारा चौथे SERO(serological)survey की वो रिपोर्ट है जो 21 राज्यों के 70 ज़िलों के 6 वर्षों के ऊपर के 28975 लोगों पर किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 67% लोगों में कोराना के खिलाफ एण्टीबाॅडी आ चुकी है।


Sero Survey प्रायः सत्य साबित होते हैं और ऐसे में भारत और चीन के अलावा कोई और देश होता तो कहा जा सकता था कि वो Herd immunity के करीब पहुंच चुके हैं। भारत की आबादी के हिसाब से 33% यानि 40 करोड़ की संख्या जो कि एक बहुत बड़ी संख्या है उनमें एण्टीबाॅडी अभी भी नहीं है। ऐसे में यहां हो सकता है Herd immunity 90% लोगों में एण्टीबाॅडी आने पर आये। 


अतः सावधान रहने की जरूरत बनी हुई है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बचने के लिए कोरोना प्रोटोकॉल और व्यवहार का पालन होते रहना चाहिए। वैक्सीन मिले तो अवश्य लगा लेनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से अस्पताल में भर्ती होने की नौबत घट जाती है और जान जाने की संभावना भी कम होती है। इसके अलावा ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि कोरोना का डेल्टा प्लस के अलावा कोई और खतरनाक वैरिएंट न आये। क्योंकि जब सरकार असफल होती है तो ईश्वर पर ही भरोसा करना पड़ता है।