Hope Corona ends in summer?
धूप धूप की रट लगाता" कोई मिल गया" फिल्म में धरती पर फंसा "जादू" नामक एलियन तो याद है ना जिसमें धूप मिलते ही ताकत और जान आ जाती थी आज उसी धूप से बहुत से वैज्ञानिक उम्मीद लगा रहे हैं कि वो कोरोना वायरस का खात्मा कर मानव जाति की रक्षा करेगी। विलियम ब्रायन जो कि अमेरिका की विज्ञान और तकनीकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी हैं, कोरोना को लेकर 24 अप्रैल 2020 के मीडिया संबोधन में कहा है कि नये अनुसंधान के अनुसार सूर्य किरण यानि धूप कोरोना वायरस का त्वरित खात्मा कर सकता है।
उनके अनुसार खास बात यह है कि इस अनुसंधान में धूप कोरोना वायरस को सतह और हवा दोनों में मारता हुआ दिखाई देता है। उनका कहना है कि तापमान और आर्द्रता दोनों ही कोरोना वायरस के लिए खतरनाक हैं जहां तापमान और आर्द्रता दोनों ही बढ़ें तो कोरोना को समाप्त होते देर न लगेगी! इस अनुसंधान की विशद् जानकारी साझा करते हुए कहा गया कि यदि तापमान 21 से 24 डिग्री सेन्टीग्रेड हो और आद्रता 20% हो स्टील या दरवाजे के हेण्डल जैसे सतह पर कोरोना 18 घंटे में आधे हो जा रहे हैं और यही आद्रता 80% कर दी जाती है तो यह समय 6 घंटे हो जाते हैं। फिर इसमें धूप (uv rays) शामिल किया गया तो कोरोना को आधे होने में सिर्फ 2 मिनट का समय लगते हैं।
यद्यपि मैरीलैंड में" नेशनल बायोडेन्स एनालिसिस एंड काउंटरमेशर्स सेंटर", जो "डीएचएस " (Department of Homeland Security) का हिस्सा है, में किये गए इस अध्ययन का बाहरी मूल्यांकन नहीं हुआ है और न ही शोध में प्रयोग में आने वाले यूवी किरण( uv rays) की तीव्रता और तरंग दैर्ध्य(wavelength) सहित कई सवाल के उत्तर मिले हैं। यह भी ज्ञात नहीं है कि यूवी किरण गर्म महीनों में वास्तविक प्राकृतिक धूप की नकल करता है या नहीं। फिर भी इसके निष्कर्ष उत्साहवर्धक अवश्य हैं। क्योंकि यह भी एक तथ्य है कि कोरोना प्रजाति के पहले के वायरसों पर बढ़ते तापमान का प्रभाव पड़ा था। यही कारण है कि विलियम ब्रायन ग्रीष्म ॠतु को लेकर आशावान हैं उस समय ऐसा ही जलवायवीय वातावरण होगा जिसमें कोरोना नियंत्रित हो पायेगी। पर ये भी कहा कि यह सही नहीं होगा कि कह दें गर्मी पूरी तरह से वायरस को मारने वाली है और लोग कोरोना वायरस से सावधानी के निर्देशों का पालन करना छोड़ दें।
कुछ अन्य वैज्ञानिक, आस्ट्रेलिया,ईरान और सिंगापुर जैसे देशों के अधिक तापमान के बावजूद कोरोना होने की बात कर इस अनुसंधान के निष्कर्ष पर वाजिब प्रश्न उठा रहे हैं। पर वस्तुतः आस्ट्रेलिया और ईरान और और सिंगापुर में जनवरी और फरवरी महीनों में भी जलवायु अनुसंधान के हिसाब से कोरोना के लिए अधिक प्रतिकूल नहीं थे।सिंगापुर का जनवरीऔर फरवरी का औसत तापमान अधिकतम 31 से न्यूनतम 22 डिग्री रहा जिसे बहुत ज्यादा नहीं कह सकते। जनवरी में 14 दिन बारिश हुई तो फरवरी 8 दिन सूर्य प्रकाश का प्रतिशत जनवरी में 48% और फरवरी में 54%। आस्ट्रेलिया एक विशाल देश है और जनवरी और फरवरी में यहां का तापमान सर्वाधिक नार्थईस्ट इलाके में होता है अधिकतम जनवरी में 37 डिग्री सी और फरवरी में 32 डिग्री सी ! 29 फरवरी तक आस्ट्रेलिया मेें संक्रमित की संख्या 26 ही थी वो भी साउथईस्ट इलाके में जहां औसत अधिकतम तापमान 26 डिग्री सी और न्यूनतम 13.9 डिग्री तक रहा था! ईरान में तो ठंड का मौसम ही था जब कोरोना 19 फरवरी को आया और इस महीने का औसत अधिकतम तापमान 11.1 डिग्री था।
इस अमेरिकी अनुसंधान को भारतीय सन्दर्भ में देखें तो हृदय प्रफुल्लित कर देने वाला है। क्योंकि इनके निष्कर्ष सही निकले तो यहां गर्मी के महीने में तापमान 22 तो क्या 44 डिग्री सेल्सियस होना आम बात है, आद्रता 80 से 100% हो जाती है और रही धूप की बात तो वो इतनी प्रचण्ड होती है कि कोरोना वायरस की मिनटों की बजाय सेकेंड में ऐसी की तैसी कर डाले। इसलिए अभी अमेरिकी अनुसंधान के निष्कर्ष को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है। यह वैज्ञानिकों की बुद्धि और मेहनत का नतीजा है किसी बड़बोले राष्ट्रनेता का बोलवचन नहीं। यह भी ना भूलें कि सिंगापुर की एक यूनिवर्सिटी ने भारत में कोरोना के खत्म होने की तारीख 21 मई बतलाया है। यद्यपि इनकी भविष्यवाणी का आधार गणित और सांख्यिकी है। फिर भी निराशा चाहे कितनी भी सच्ची हो उससे तो अच्छी आशा ही होती है , और यहां तो आशावान होने के वैज्ञानिक आधार हैं !
Hope🤞🤞
जवाब देंहटाएंVery true...mai bhi aashanvit hu
जवाब देंहटाएंIs tarah ke sachhai pe aadharit post Bahut aawasyak hai kyunki model -based negativity Bahut jyada fail gayi hai...super article as always.
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