भारतीय मोटर एवं परिवहन अधिनियम 2019, 1 सितम्बर से  लागू हो गया है।इस अधिनियम द्वारा परिवहन के भिन्न-भिन्न नियमों के उल्लंघन पर  जुर्माने की राशि पांच से दस गुना बढ़ा दी गई है। इस संबंध में सड़क और परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी  का कहना है कि भारत में सड़क दुर्घटना दुनिया में सबसे अधिक होती हैं और लगभग 150000 लोगों की जानें हर साल जाती हैं तकरीबन 3 लाख लोगों के हाथ- पांव टूटते हैं।



Motor Transport Law 2019!



 ऐसे में भारी जुर्माना जनता में कानून और शासन के प्रति भय और सम्मान जगायेगा जिससे सड़क दुर्घटना कम होगी और लोगों की जान बचेगीं। मंत्रीजी की  चिन्ता और उद्देश्य के प्रति दो राय नहीं हो सकती  ये बिल्कुल वाजिब हैं पर कानून को लेकर उनकी धारणा,जुर्माने की भारी राशि और अधिनियम के लागू करने के समय को लेकर प्रश्न खड़े अवश्य होते हैं।
Motor Transport Law 2019!


किसी भी कानून का पालन सिर्फ भय के कारण नहीं होता है, बल्कि इसलिए भी होता है कि बहुसंख्यक जनता उसे सही समझती है। तभी शासन के प्रति सम्मान भी जागृत होते हैं अन्यथा उस कानून का विरोध होता है।
मोटर-परिवहन अधिनियम 2019 के साथ भी यही हो रहा है। विरोध का कारण जुर्माना  नहीं बल्कि बहुत ज्यादा जुर्माना है।कुछ मद के जुर्माने की राशि तो किसी दुर्घटना से कम नहीं हैं। जैसे किसी मिनिमम आय ग्रुप वाले और सेकेंड हैंड दुपहिया चालक से 'पीयुसी' प्रमाणपत्र न होने पर 10000 रु के दण्ड वसूलने से उस बेचारे के हाथ-पैर भले न टूटे पर कमर तो टूट ही जायेगी।
Motor Transport Law 2019!

किसी भी लोककल्याणकारी एवं प्रजातांत्रिक राज्य में कानून का भय होना तो ठीक है पर आतंक नहीं  और यह भय जुर्माने में 2 या 3  गुनी की वृद्धि और निरन्तर चेकिंग से भी हो सकती थी। 10 गुनी वृद्धि भले ही 30 वर्षों में की हो, को सही नहीं कहा जा सकता।
Motor Transport Law 2019!


इसी प्रकार इस अधिनियम को लागू करने के समय को लेकर भी सवाल उठते हैं। पहला यह कि जनता को कुछ समय दिया जाता जैसा कि आधारकार्ड बनाने और बैंक से लिंक करने के लिए दिए गए थे ताकि जनता में अफरातफरी न मचती और विरोध भी नहीं होता। पर पता नहीं एनडीए सरकार को जनता को बेवजह घंटों लाइन में खड़ा करने में क्या आनन्द आता है! दुसरे यह अधिनियम लाया तब गया है जब आटोमोबाइल सेक्टर  भारी मंदी की चपेट में हैं और गाड़ियों की बिक्री नहीं हो रही ऐसे में यह अधिनियम परिवहन नियमों के प्रति जनता को जागरूक करेगी या गाड़ी खरीदने को हतोत्साहित कहना मुश्किल है। फिर तो वही बात हो गई एक तो नोटबंदी और ऊपर से जीएसटी !
Motor Transport Law 2019!


गनीमत है कि परिवहन और यातायात समवर्ती सूची के विषय हैं इसलिए राज्य इस अधिनियम के हुबहू लागू करने को बाध्य नहीं हैं। गुजरात ने  मानवता के आधार पर इस कानून को, जुर्माने की विभिन्न राशियों में 50 से 90% तक की कटौती कर लागू किया है। वहीं मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने भारी जुर्माने का विरोध किया। उडीसा ने विचार करने की बात की है। ऐसे में बिहार जैसे राज्य जहां इस कानून को शतप्रतिशत लागू किया है वहां के मोतिहारी जिले के छत्तौनी के एस एच ओ मुकेश चन्द्र कुवंर के द्वारा चालान की बजाय आन स्पाट हेलमेट और इनश्योरन्स रिन्यूअल की सुविधा प्रदान करना प्रशंसनीय कदम है।


              इन सब कमियों एवं परेशानियों के बावजूद उम्मीद की जाती है कि मोटरपरिवहन अधिनियम 2019 उद्देश्य पवित्र होने के कारण जनता को परिवहन नियमों के प्रति जागरूक करने में सफल होगी और परिवहन मंत्री का यह विश्वास कि इसका लक्ष्य लोगों की जान बचाना है न कि राजस्व कमाना सही साबित होगा। लेकिन यहाँ यह उल्लेखनीय है कि सड़क दुर्घटना केवल चालक की लापरवाही से ही  नहीं होते बल्कि खराब सड़क और घटिया  यातायात मैनेजमेंट से भी होते हैं जिसकी  जिम्मेवारी सरकार की है।
अत:  जागरूक सरकार को भी होना पड़ेगा।

अंत में-

म्म माफ करो, माफ करो अरे बाबा माफ करो
ज्ज जाने दो, जुर्माना साफ नहीं तो हाफ करो
पागल हो गए  हो क्या?