खंडन - इस लेख में किये गए व्यंग्य लेख की रोचकता बनाये रखने के लिये ही किया गया । यदि फिर भी किसी का दिल दुखे उसके लिये Indianspolitical.com खेद व्यक्त करता है।
चंडीगढ़ के मेयर के छोटे से चुनाव ने भारत के जनतंत्र पर चल रहे बड़े संकट को उजागर कर दिया है। क्योंकि जहां जनतंत्र में जन(जनता) केन्द्र में होता है और तंत्र (system) उसके पीछे चलता है पर इस चुनाव में वोटों की चोरी कर जन के ऊपर तंत्र की महिमा स्थापित करने की कोशिश की गई। पर इनकी चोरी पकड़ी गई जब यदाकदा रोशन हुआ सुप्रीम कोर्ट। --टनटन--" हमारा सुप्रीम कोर्ट।" सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से ये कोशिश कामयाब नहीं हो पाई पर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की जीतने के लिये गिर जाने के निम्नतम स्तर की क्षमता का पता तो चल ही गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा ये Murder of Democracy है। पर ऐ सुनील बाबू! चंपत के विष्णु अवतार तो Mother of Democracy कहते हैं। "चंपत की बात को चंपत कर। मुद्दा यंत्र (EVM) नहीं तो तंत्र (System Mechanism) का है इसे समझ।" अरे वाह सुनील बाबू! बढ़ियां है।
चंडीगढ़ केन्द्र शासित प्रदेश है। यहां के मेयर का चुनाव केन्द्र सरकार के नुमाइंदे , गवर्नर और कमिश्नर के देखरेख में होता है। मेयर का चुनाव पार्षद को करना था जिनकी संख्या 36 थी। इनमें से 20 पार्षद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के थे और दोनों का गठबंधन था जबकि 16 पार्षद बीजेपी के थे । गठबंधन की जीत तय थी पर जिसका तंत्र में विश्वास था वो चुनाव को बार-बार टाल पार्षद को तोड़ने के जुगाड़ में थे। पर यह जुगाड़ कामयाब होता उससे पहले हाईकोर्ट के हस्तक्षेप से चुनाव 30 जनवरी ,2024 को कराना पड़ गया।
ऐसे में तंत्र ने दूसरी आपातकालीन व्यवस्था कर रखी थी उसने अनिल मसीह नामक बीजेपी के पदधिकारी को ही निर्वाचन अधिकारी बना रखा था। उसने गठबंधन के पक्ष में पड़े 20 में से 8 मतपत्रों पर आरी तिरछी लकीर खींच उसे रद्द कर आनन-फानन में बीजेपी के प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया। अपने मिशन में तंत्र कामयाब भी हो जाता पर वहां लगे यंत्र सीसीटीवी ने धोखा दे दिया। अनिल मसिह के कारनामों से सुसज्जित सीसीटीवी के वीडियो ने वायरल होते ही भारतीय जनतंत्र और श्री जे पी नड्डा के "देवताओं के देवता" का डंका पूरे विश्व में बजा दिया।
Supreme Court Intervention
संयोगवश इस डंके की गूँज सुप्रीम कोर्ट को सुनाई दे गई जो Election Bond पर 6 वर्षीय कुंभकर्णीय तन्द्रा से अभी-अभी निकला था और जाग्रत अवस्था में ही था। फलतः अपेक्षाकृत फुर्ती दिखाई और अनुच्छेद 142 में प्रदत्त शक्ति के आधार पर पहले के चुनाव परिणाम को रद्द कर गठबंधन के उम्मीदवार श्री कुलदीप कुमार को नया मेयर नियुक्त कर दिया। साथ ही श्रीमान अनिल मसिह के खिलाफ कदाचार और अवमानना का मामले चलाने का आदेश दे दिया।
अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने का अधिकार देता है। यह एक विवेकाधीन शक्ति है।अयोध्या मामले में इसी अनुच्छेद के आधार पर मस्जिद निर्माण के लिये भूमि देने का आदेश दिया गया था। उल्लेखनीय है कि तंत्र की ओर से हाजिर वकील पुनः चुनाव की मांग कर रहे थे क्योंकि केस चलने के दरमियान ही बहुमत का जुगाड़ आप पार्टी के चार पार्षदों को तोड़ कर कर लिया गया था। पर इनकी ये दाल नहीं गली।
सवाल ये है क्या अकेले अनिल मसिह में ऐसे चुनावी दुष्कर्म की हिम्मत हो सकती है? कदापि नहीं। बड़ी ताकतों का वरदहस्त हो सकता है? श्री राहुल गांधी ने तो साफ कहा कि "मसिह सिर्फ मोहरा है "पीछे टनटनाटन का चेहरा है ।" ऐसे में इसकी सही जांच होनी चाहिए क्या पता इसमें भी पंडित नेहरू का हाथ निकल आये?
Full Faith on their Machinery
कहा जाता है कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी हर चुनाव को गंभीरता से लेती है और जीतने का प्रयास करती है। अच्छी बात है। पर डेमोक्रेसी में सिर्फ चुनाव होना नहीं बल्कि कानून और मर्यादा के तहत स्वतंत्र और निस्पक्ष चुनाव होना होता है। चुनाव तो नार्थ कोरिया और रूस में भी होते हैं पर वहां डेमोक्रेसी नहीं तानाशाही है।
मेयर के छोटे चुनाव में ये मर्यादा विहीन गंभीरता का ये हाल है तो फिर लोकसभा और विधानसभा के बड़े चुनावों में ये गंभीरता कितनी होगी। वहां तो मुठ्ठी में चुनाव आयोग सहित सारा तंत्र तो है ही साथ ही EVM नामक संदिग्ध यंत्र भी है जिसके अन्दर सीसीटीवी झांक भी नहीं सकता।
दरअसल बीजेपी के लिये जनतंत्र में जन का मतलब दो हैं एक भक्तजन दूसरा विरोधी जन। इन पर नियंत्रण करने के लिये इनकी नीतियां भी स्पष्ट है ं। भक्त जन को गोदी मीडिया में मन्दिर दर्शन, बुलडोजर का प्रदर्शन, वस्त्रधनी की नौटंकी, मुसलमान और पाकिस्तान पर चर्चा, विश्व में बजने वाले झूठे डंके से साधा रखा जायेगा। जबकि विरोधी जन को तंत्र की शक्तियों इडी, सीबीआई, इनकमटैक्स, यूएपीए और इवीएम से निबटा दिया जायेगा।
बीजेपी को अपने तंत्र पर ये भरोसा ऐसे ही नहीं हुआ है। इन्होंने ने देखा है कि तंत्र पर पकड़ सही हो तो किसान आन्दोलन में 700 जाट किसानों की मौत होने है पर भी इन्हें जाटों के मिलने वाले वोट प्रतिशत बढ़ जाते हैं। इसीप्रकार आदिवासी पर मूत देने (एमपी में यह कुकृत्य हुआ था) के बावजूद तंत्र पर पकड़ सही हो आदिवासियों के मिलने वाले वोटों के प्रतिशत में वृद्धि हो जाती है। तंत्र पर ही तो भरोसा है किसान फिर आन्दोलन कर रहे हैं और मर भी रहे हैं फिर भी कोई असर नहीं है , स्कूबा डाइविंग की जा रही है।
आमतौर पर चुनाव नजदीक होने पर विपक्ष की सरकार ना तो गिराई जाती है और न ही उनके नेता को परेशान या गिरफ्तार ही किया जाता है। ऐसे में उन्हें जन सहानुभूति मिलने का अंदेशा होता है। आज का तंत्र इसे नहीं मानता। इन्हें ना तो जन की चिंता है विपक्ष को मिलने वाली सहानुभूति की। हर हाल में सत्ता तंत्र पर पकड़ चाहिए बस ! चुनाव जीतने को यही काफी है। मन में है विश्वास पूरा है विश्वास हम होते रहेंगे कामयाब हर दिन!
Hoping against all Hope
विपक्ष के एक नेता श्री राहुल गाँधी ने 2019 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद ही कहा था कि EVM भी एक मुद्दा है पर हमारी लड़ाई सिर्फ एक पार्टी से नहीं पूरे तंत्र से है। वास्तव में 2024 की चुनावी लड़ाई जनतंत्र के लिये है। जन और तंत्र। जिन्हें जन पर विश्वास है वो न्याय और जनविश्वास जैसी यात्राओं पर चल पड़े हैं और जिन्हें अपने बनाये तंत्र पर विश्वास है वो जांच एजेंसियों के घोड़े पर सवार धन की पोटली ले तंत्र को मजबूत करने चहुँ दिशा की ओर सरपट दौड़ लगा रहे हैं। झारखंड, बिहार, बंगाल, दिल्ली या फिर हिमाचल प्रदेश में कोई भी छूटना नहीं चाहिए।" जल्दी कर मेरी जान तू!" आचार संहिता लागू होने से पहले विपक्ष INDIA को निबटा देना है।
ऐसे में Idea of India में विश्वास करने वाले की उम्मीद मुहब्बत का दुकान खोलने निकली कांग्रेस की भारत जोड़ो फिर न्याय जैसी यात्राओं से है। इन यात्राओं के नायक श्री राहुल गाँधी का यह कहना 2024 के आम चुनाव में INDIA जीतेगा मन के तंत्र की हार होगी , नई आशा का संचार करती हैं। विश्वास रखें, नोटबंदी, जीएसटी, कोरोना, रॉफेल, पेगासस और तीन कृषि कानूनों पर की कही गई उनकी बातों की तरह ये बात भी सही हो जाय।
जयहिंद।
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जवाब देंहटाएंछोटा मेयर का चुनाव में बेइमानी तो ईवीएम पर तो बीजेपी का नेता बैठा हुआ है
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