महाराष्ट्र और हरियाणा की विधानसभा 2019 चुनाव के परिणाम के फौरन बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी पार्टी की दोनों जगह अभूतपूर्व जीत  बतलाया और अपने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फड़नवीस और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर को बधाई देते हुए आगामी 5 साल के शासन के लिए शुभकामनाएं भी दे डाली। प्रधानमंत्री का यह वचन 'बोल वचन' था क्योंकि बीजेपी  की जीत कतई अभूतपूर्व नहीं थी।

BJP's embarrassing defeat in Maharashtra!



 महाराष्ट्र में गठबंधन के साथ जीत हुई थी जबकि हरियाणा में तो हार ही हो गई थी।कदाचित प्रधानमंत्री को अपने गृहमंत्री और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष  के 'मास्टर स्ट्रोक्स' पर पूरा भरोसा था जिसके बल पर वे वैसा बोल गए। प्रधानमंत्री का यह भरोसा हरियाणा जैसे छोटे राज्य में जहां मामला 36 से 46 करने का था काम कर गया  बीजेपी ने अपने  खिलाफ लड़े श्री दुष्यंत चौटाला को पूरी पार्टी सहित अपने तरफ कर आनन-फानन में मनोहर लाल खट्टर की फिर से सरकार बना डाली।


 पर महाराष्ट्र में जहां शिव सेना के साथ गठबंधन में बीजेपी को बहुमत मिल गया था पर  शिवसेना की हठधर्मिता और बीजेपी के अहंकार में यह गठबंधन टूट गया। इसके बाद बीजेपी के सिरमौर के तथाकथित चाणक्यनीति और मास्टर स्ट्रोक्स 'ने फडनवीस को मुख्यमंत्री तो बना दिया पर सिर्फ 3 दिनों के लिए। सिर्फ 3 दिनों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अभूतपूर्व जीत के हीरो मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस भूतपूर्व (मुख्यमंत्री) हो गए।


महाराष्ट्र की 288 सीटों में बीजेपी को 105 और उसके गठबंधन की पार्टी शिवसेना को 56 सीट मिले, एनसीपी को 54 , कांग्रेस को 44 और बाकी अन्य को। शिवसेना मुख्यमंत्री पद लेकर अड़ गई कहा बीजेपी ने ऐसा वादा किया था। पर बीजेपी ने कहा ऐसा कोई वादा नहीं किया था और बड़ी पार्टी के तौर पर मिले राज्यपाल के सरकार बनाने के प्रस्ताव पर बहुमत नहीं होने के कारण अपनी असमर्थता व्यक्त कर दी।


बीजेपी को विश्वास था शिवसेना और एनसीपी का भले ही गठबंधन हो जाय पर धुरविरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस से तालमेल होने से रहा ऐसे में शिवसेना झक मारकर अपनी जिद छोड़ कर उसी के पास आ जायेगी। राज्यपाल ने शिवसेना को फिर एनसीपी को आमंत्रित करने की औपचारिकता पूरी कर राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर दी और यह लागू भी हो गया।
BJP's embarrassing defeat in Maharashtra!


लेकिन शरद पवार के प्रयासों से शिवसेना कांग्रेस की सेकुलरिज्म के मर्यादा रखने पर सहमत हो गई तो कांग्रेस  ने भी सहयोग के लिए मन बना लिया।'कामन मिनिमम प्रोग्राम' बने और जब ऐसा लगा कल तीनों पार्टी का गठबंधन राज्यपाल से सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर देगा तब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की रातों की नींद हराम हो गई। रातोंरात वो किया गया जो नहीं किया जाना चाहिए । राज्यपाल जगे, गृहमंत्री जागे,प्रधानमंत्री जागे और महामहिम राष्ट्रपति को भी जगाया गया। ऐसा माना जाता है जब सारी दुनिया सोती है तो मुनिजन ? जागा करते हैं।एनसीपी पार्टी के विधानसभा के नेता अजित पवार जिन पर ईडी ने भ्रष्टाचार के कई मुकदमें कर रखे थे उन्हें अपनी तरफ किया गया और एनसीपी के विधायकों के नेता चुने जाने वाले पत्र को बीजेपी सरकार के लिए सहमति पत्र  के रूप में राज्यपाल को पेश किया गया।


 राज्यपाल ने इसे बिना किसी छानबीन के सही मान लिया और राष्ट्रपति शासन समाप्त करने की अनुशंसा केन्द्र को भेज दी। प्रधानमंत्री ने विशेषाधिकार के तहत अकेले कैबिनेट के रूप में इसे अनुमोदित कर राष्ट्रपति के पास भेज दिया और महामहिम राष्ट्रपति ने  बिना देरी के अपनी स्वीकृति देकर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का अंत कर दिया। फिर राज्यपाल ने बीजेपी देवेंद्र फड़नवीस को सरकार बनाने को आमंत्रित कर दिया और आनन-फानन में सुबह- सवेरे उन्हें और अजित पवार को शपथग्रहण करा दिया।
BJP's embarrassing defeat in Maharashtra!


इस बदले हुए परिदृश्य से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस पार्टी सन्न रह गई तो पूरे देश की जनता हतप्रभ। शीघ्र ही गोदी मीडिया ने रात की इन कारगुजारियों को 'चाणक्य नीति' और 'मास्टर स्ट्रोक्स' जैसे विशेषणों से विभूषित करना शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री फड़नवीस विजेता के रूप में पुष्प मालायें ग्रहण करने लगे।


देश के कानून मंत्री ने चिरपरिचित नथूने फड़काऊ अंदाज में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश की सबसे अधिक जीडीपी उत्पन्न करने वाले राज्य को भ्रष्टाचारियों के हाथ में जाने से रोकने के लिए इसे जरूरी बतला दिया और निश्चित बहुमत होने के दावे कर दिए। ईडी ने अजित पवार पर 9 मामले को ठंडे बस्ते में डालने की घोषणा कर दी। व्हाट्सएप पर चुटकुले चलने लगे कि देश या विदेश कहीं भी बहुमत न होने के बावजूद सरकार  बनानी हो तो फन्ने खां(नाम परिवर्तित) से सम्पर्क करें।

BJP's embarrassing defeat in Maharashtra!

लेकिन तभी हालात ने करवट ली  जब अस्सी वर्षीय मराठा श्री शरद पवार ने हुंकार भरी और कहा एनसीपी ने बीजेपी को कोई समर्थन नहीं दिया है बीजेपी झूठ बोल रही है और अजित पवार के साथ गिने-चुने विधायक ही हैं और उसी शाम ,एनसीपी विधायक दल की बैठक भी बुला डाली। इस बैठक में धीरे-धीरे  5 को छोड़ सारे विधायक आ गए। वैसे विधायक भी जो अजित पवार के साथ गए थे और उन्होंने बतलाया कि उन्हें धोखे में रख कर राजभवन ले जाया गया था। सुबह में  जिसे चाणक्य नीति और मास्टर स्ट्रोक्स बतलाया जा रहा था वो रात होते-होते तिकड़मबाजी, संवैधानिक मर्यादा का हनन् और सरकारी बाहुबल का प्रयोग बन चुका था।


 मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और निर्णय आने से पहले बाकि 4 विधायक भी श्री शरद पवार के पास आ गए और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पश्चात अजित पवार ने भी बीजेपी को गुडबाय कर दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा  खुली मतदान पध्दति से फ्लोर टेस्ट समयावधि में कराने के निर्णय ने वो भी वीडियो रिकार्डिंग और सीधे प्रसारण के साथ, बीजेपी की हिम्मत तोड़ दी।और भद् पीटने के डर से फ्लोर टेस्ट से पहले देवेन्द्र फड़नवीस ने 80 घंटीय मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस तरह श्री उध्दव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया।


प्रश्न हर किसी के मन में कि बीजेपी ने ऐसा कदम क्यों उठाया जिससे आज चहुंतरफ उसकी किरकिरी हो रही है। मनोबल बचाने के लिए व्हाट्सएप में बुलेट ट्रेन का फंड केन्द्र को भेजने की बात चलाये जा रहे हैं  पर वास्तविक कारण  जवाब लार्ड एक्टन के इस प्रसिद्ध कथन में ढूंढी जा सकती है कि ' सत्ता भ्रष्ट करती है, पूर्ण सत्ता पूरी तरह भ्रष्ट करती है ' या फिर पुरानी भारतीय कहावत में  'अहंकार किसी को भी ले  डूबता है'


प्रधानमंत्री के बोल वचन जो उन्होंने देवेंद्र फड़नवीस को लेकर कही थी की बजाय बीजेपी को उस वचन की रक्षा करनी चाहिए थी जो उसने शिवसेना को दिये थे। यह भी ध्यान रखना चाहिए लोकतंत्र में जहां संविधान की सर्वोच्चता हो, चाहे कितनी भी बहुमत हो "मैं चाहुं ये करूं या वो करूं, मेरी मर्जी"  हमेशा नहीं  चलती। ऐसा असली चाणक्य कौटिल्य ने भी नहीं कहा था।


अन्त में-
........... फट गया ढोल
 बीच बजरिया खुल गया पोल
 हो गया उसका डब्बा गोल
 बोल हरि बोल हरि बोल, बोल हरि बोल।।