मजाक-3


समाचार -श्री नरेन्द्र मोदी जब से प्रधानमंत्री बने हैं विश्व में भारत का डंका बज रहा है।

ऐ, विजय जी , विजय जी!
डंका बजना क्या होता है?  झा जी ने पूछा।



जब आप कोई ऐसा काम करें जिससे  आपकी धाक (प्रभाव) जम जाय तब कहा जाता है कि आपके नाम का डंका बज रहा है। देखते नहीं,  मोदीजी जब से प्रधानमंत्री बने हैं देश- विदेश में बार-बार डंका बज रहा है!
- विजय जी ने समझाया।
- अच्छा! खुश होकर झा जी ने पूछा -    
  किन-किन कामों पर डंका बजा ?



-सब कुछ हम ही से पूछियेगा! गूगल सर्च कर के खुद देख लीजिये।
-विजय जी झुंझला गए। शायद उनको उत्तर पता नहीं था।
ऐसा झा जी को लगा।
खुद गूगल सर्च करना शुरू कर दिया। 
कुछ दिनों बाद।



विजय जी! यूरेका! 

विजय जी!यूरेका!
बार-बार डंका बजने के कारणों का पता चल गया। पूरी लिस्ट है।
-झा जी चिल्लाये।



हें!  विजय जी को आश्चर्य हुआ जो दुनिया को पता नहीं  उसे झाजी ने कैसे जान लिया? अच्छा तो  बतलाइये!

तो सुनिये-

झा जी ने सुनाना शुरू किया।



सर्वप्रथम हमने कोरोना कहर का इंतजार भी नहीं किया नोटबंदी और जीएसटी से अर्थ व्यवस्था पहले ही बर्बाद कर ली, जीडीपी 4.3% तक ले आए और बेरोजगारी का नया रिकॉर्ड बना डाला और अब महंगाई का शंखनाद कर रहे हैं।
डंका इसलिए बज रहा है।



दूसरे ,विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन अदानी को विश्व का दूसरा सबसे अमीर आदमी बना कर Global Hunger Index में 116 देशों में भारत को 101 वें स्थान पर पहुँचा दिया -नेपाल और पाकिस्तान से भी पीछे।
डंका  बजा।



तीसरे, हिन्दु- मुस्लिम वाली साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर  USCIRF की रिपोर्ट में भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में "विशेष चिंता वाले देश" जिसमें उत्तरी कोरिया, पाकिस्तान जैसे बदनाम राष्ट्र आते हैं पहुंचा दिया।

 डंका इसलिए भी बजा।



चौथे, लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता खत्म और जांच एजेन्सियों के सदुपयोग विरोधियों के खिलाफ कर V-Dems नाम की स्वीडेन की अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान को  2022 के अपने रिपोर्ट यह कहने पर मजबूर कर दिया कि भारत में प्रजातंत्र नहीं है बल्कि एक "Electoral Aristocracy" है। 

इतना ही नहीं पेन अमेरिका की Freedom to write Index  ने 2021 के रिपोर्ट में भारत को लेखको और बुध्दिजीवियों के लिये विश्व के टॉप टेन जेलखाना में ही शुमार कर दिया है। 

 
डंका बजेगा नहीं। 



पांचवे, जब हमने कोरोना वायरस की प्रथम लहर का सामना थाली बजा कर और दूसरी लहर का सामना "दीदी ओ दीदी" का राग अलाप कर किया था तो पूरे विश्व में उस पर भी डंका बजा। इसलिये The Economics नामक विश्वप्रसिद्ध साप्ताहिक न्यूज़ पेपर ने  खुश होकर कोरोना से लड़ने वाला  विश्व का सबसे अक्षम प्रशासक के तमगे से ही नवाज दिया। 

 है ना जबरदस्त डंका? 




छठे, खुद कहते हैं कि चीन भारत में घुसा नहीं फिर भी हम उसे पीछे धकेल रहे हैं, बताइये ना डंका बजेगा कि नहीं!



सातवें- रूपया 82..डॉलर.... 


-बंद कीजिये बकवास!

 
झा जी और कुछ बोलते कि पास खड़े  मिश्रा जी चीख पड़े।


-रह गए बुरबक के बुरबक! इसलिए तो "वैश्विक प्रतिभा" के कालखंड में भी आपसे पकौड़े तक नहीं तला गया।


 
-क्यों क्या हुआ? झा जी रूआंसे होकर बोले।

 
अरे! इसे डंका बजना नहीं कहते,
भद्द पिटना कहते हैं।  मिश्रा जी बोले। 

 
- हें! पर मीडिया तो डंका बजना कह रही है।
   झा जी मिमियाये।
-अरे!  मीडिया तो उनके लिये गाल बजा रही है।  

 
झा जी 

फिर सोच में पड़ गए। मिश्रा जी भी है ंना , जितना बतलाते नहीं  उससे ज्यादा कनफ्यूजिया देते हैं।

 बतलाइये तो? "गाल बजाना" क्या होता है? 

-ऐ, विजय जी!

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